शहर को हरा-भरा बनाने में जुटे पर्यावरण प्रेमी, पौधे रोपने के साथ संभाल भी कर रहे

कोरोना महामारी में दम तोड़ते लोगों की दशा ने जहां सेहत सुविधाओं की खामियों को उजागर कर दिया है वहीं आक्सीजन की किल्लत को भी बाखूबी दर्शा दिया है।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 04 Jun 2021 10:15 PM (IST) Updated:Fri, 04 Jun 2021 10:15 PM (IST)
शहर को हरा-भरा बनाने में जुटे पर्यावरण प्रेमी, पौधे रोपने के साथ संभाल भी कर रहे
शहर को हरा-भरा बनाने में जुटे पर्यावरण प्रेमी, पौधे रोपने के साथ संभाल भी कर रहे

मनदीप कुमार, संगरूर : कोरोना महामारी में दम तोड़ते लोगों की दशा ने जहां सेहत सुविधाओं की खामियों को उजागर कर दिया है, वहीं आक्सीजन की किल्लत को भी बाखूबी दर्शा दिया है। पेड़ों की अंधाधुंध कटाई के कारण हरियाली कम होती जा रही है और पर्यावरण बिगड़ता जा रहा है। कितु इसी बीच कुछ पर्यावरण प्रेमी ऐसे भी हैं जो दिन रात पौधे लगाने व उनकी संभाल करने में जुटे हैं। बरसात का मौसम आरंभ होने वाला है। यह मौसम पौधारोपण के लिए पूरी तरह अनुकूल है। शुक्रवार को पर्यावरण दिवस पर शहर के उन वातावरण प्रेमियों से मुलाकात करेंगे, जो संगरूर को हराभरा बनाने के लिए लगातार वर्षों से पौधारोपण मुहिम में जुटे हुए हैं। संस्था ने शहरभर में लगाए पौधे, कर रहे संभाल

श्री दुर्गा सेवा दल के प्रतिनिधि अरूप सिगला ने बिगड़े पर्यावरण की संभाल के लिए शहर की मुख्य सड़कों के किनारों पर पौधे लगाने की मुहिम आरंभ की। मुहिम केवल पौधे लगाने तक सीमित नहीं है, जबकि इन पौधों को रोजाना पानी देने, कांटछांट करने व इनकी गुड़ाई करने की भी जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। संस्था ने क्लब रोड, डीसी दफ्तर रोड, शाही समाध रोड, कोर्ट रोड, सिविल अस्पताल परिसर सहित अन्य कालोनियों में अब तक 872 से अधिक पौधे लगाए हैं। सभी को ट्री गार्ड से कवर किया है। पानी डालने के लिए एक मुलाजिम तैनात किया है। अरूप सिगला का कहना है कि अगर पेड़ होंगे तो ही आक्सीजन मिल पाएगी व लोग जिदा रह सकेंगे। दस किलोमीटर का बाईपास रोड हुआ हराभरा

बठिडा-चंडीगढ़ रोड बनाने के लिए हजारों पेड़ों की कटाई करके रोड पर दूर-दूर तक एक भी पेड़ नहीं था, लेकिन संगरूर के वकील सुमीर फत्ता व उनके साथियों ने संगरूर शहर से सटे दस किलोमीटर के बाईपास रोड को फिर से हरा भरा बना दिया। चार वर्ष से वह लगातार पौधारोपण करके हर सप्ताह उनकी संभाल के लिए दौरा करते हैं। जहां पौधे मर जाते हैं, वहां उन्हें हटाकर नए पौधे लगाए जाते हैं। खास तौर पर त्रिवेणी, नीम, पीपल इत्यादि के पौधे लगाए जाते हैं। 15 जून के बाद फिर से पौधारोपण मुहिम आरंभ की जाएगी। चार वर्ष में शहर के हर कोने में लगे पौधे

भवानीगढ़ के नौजवान मनदीप बांसल के लिए पौधारोपण एक शौक नहीं, बल्कि उनके दिन का जुनुन है। चार वर्ष में 13 हजार 200 पौधे लगा चुके हैं। शहर की हर कालोनी, फग्गुवाला से बालद कलां रोड, पटियाला एनआइएस, भवानीगढ़ का स्टेडियम, शमशानघाट, गुरुघर, मंदिर, डेरा, सरकारी स्कूल, थाना, अनाज मंडी सहित कोई जगह ऐसी नहीं, जहां उन्होंने पौधे न लगाए हों। दस हजार से अधिक पौधे पेड़ का रूप धारण कर चुके हैं। इतना ही नहीं, जन्मदिन, शादी की वर्षगांठ पर लोगों को मुफ्त पौधे बांटते भी हैं। विकास के नाम पर न करें प्रकृति का विनाश : रोशन

शहर निवासी रोशन अग्रवाल कंक्रीट में पौधे उगाने में जुटे हैं। सुनने में बेशक यह अटपटा लगता है, लेकिन यह सच है। रोशन उन जगहों पर पौधे लगा रहे हैं, जहां पर पौधों का नामोनिशान नहीं है। पक्की इंटरलाकिग लाइटें सड़कों पर बिछाई जा रही है, इन्हें की बीच वह पौैधों के लिए जगह बना रहे हैं। शहर की शाही समाध, बनासर बाग, कोर्ट परिसर, क्लब रोड सहित अन्य जगहों पर सैकड़ों की गिनती में पौधे लगाकर उनकी संभाल की गई है।

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