बगैर जप-तप के जीव आत्मा का कल्याण नहीं होगा : महासाध्वी समर्थ
तन पर कपड़ा और कीमती गहने नहीं पहनें तो काम चल जाएगा परन्तु यदि जप- तप नहीं किया तो काम नहीं चलेगा। बगैर जप तप के जीव आत्मा का कल्याण नहीं होगा।
जागरण संवाददाता, संगरूर : तन पर कपड़ा और कीमती गहने नहीं पहनें तो काम चल जाएगा, परन्तु यदि जप- तप नहीं किया तो काम नहीं चलेगा। बगैर जप, तप के जीव आत्मा का कल्याण नहीं होगा। उक्त विचार महासाध्वी समर्थ श्री महाराज ने स्थानीय जैन स्थानक धर्मशाला में चल रही पाठशाला को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार बगैर चमड़ी के शरीर नहीं रह सकता। उसी प्रकार बगैर जप- तप व श्रद्धा के आत्मा का कल्याण संभव नहीं है। इसलिए भगवान की भक्ति करनी चाहिए। दूसरा कभी अपनी तुलना किसी से न करें। आजकल मनुष्य के साथ-साथ संत जन भी एक- दूसरे से तुलना करने लगे हैं, कि कौन ज्यादा बड़ा और तपस्वी है। इसी चक्कर में भक्ति मार्ग पर आगे चलने में बाधा उत्पन्न हो जाती है। भगवान महावीर स्वामी कहते हैं कि जिसकी जैसी अवस्था भगवान ने बनाई है, उसे उसी में खुश रहना चाहिए। यदि एक- दूसरे से तुलना करेंगे तो जीवन अशांत व बेरस हो जाएगा। महासाध्वी ने कहा कि सीता माता जंगल में अकेली थी। तभी एक राजा ने उसे आकर अपने महल में जाने को कहा। उसने कहा कि डरो मत तुम्हारी महल में पूरा सम्मान व इज्जत होगी। सीता उनके साथ चल पड़ी। उनके मन में श्री राम का पूरा सम्मान था। कुछ समय के बाद लव- कुश ने जन्म लिया। बड़े होने पर सीता से अपने पिता के बारे में पूछा तो उन्होंने सच्चाई बयान कर दी। बेटों ने रोष में आकर अयोध्या पर हमला करने की सोची। सीता माता ने उन्हें समझाया कि श्री राम नगर निवासियों को चुप करवाने के लिए उनका इम्तिहान ले रहे हैं। इसमें वह जरूर कामयाब होंगी। महासाध्वी ने कहा कि सभी को अपने पर भरोसा रखना चाहिए।