देशभक्तों की खातिर खजाना खाली, अपनों के लिए ग्रांटों के गफ्फे

संगरूर में 23 वर्ष से लंबित नेता जी सुभाष चंद्र बोस यादगारी हाल की निर्माण की मांग के प्रति पंजाब सरकार जिला प्रधान व हलका विधायक के सुस्त रवैये से रोष पाया जा रहा है।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 06 Dec 2021 05:53 PM (IST) Updated:Mon, 06 Dec 2021 05:53 PM (IST)
देशभक्तों की खातिर खजाना खाली, अपनों के लिए ग्रांटों के गफ्फे
देशभक्तों की खातिर खजाना खाली, अपनों के लिए ग्रांटों के गफ्फे

जागरण संवाददाता, संगरूर

संगरूर में 23 वर्ष से लंबित नेता जी सुभाष चंद्र बोस यादगारी हाल की निर्माण की मांग के प्रति पंजाब सरकार, जिला प्रधान व हलका विधायक के सुस्त रवैये से रोष पाया जा रहा है। इसके खिलाफ स्वतंत्रता सेनानी उत्तराधिकारी संगठन ने अब करो या मरो की नीति तहत संघर्ष का बिगुल बजाने का एलान कर दिया है। संगठन के प्रांतीय प्रधान हरिदरपाल सिंह खालसा व प्रांतीय खजांची भरपूर सिंह सहित संगठन ने कैबिनेट मंत्री विजयइंद्र सिगला व जिला प्रशासन पर आरोप लगाया कि देशभक्तों की याद में उक्त यादगार के निर्माण के लिए जगह व फंड देने की मांग दो दशकों से पूरी नहीं हुई। दूसरी तरफ हलका विधायक द्वारा संगरूर के एक ही कांग्रेसी परिवार की हर मांग को परवान किया जा रहा है। पहले महरूम कांग्रेसी पार्षद की याद में खेल स्टेडियम के लिए ग्रांट जारी की, फिर अब अरोड़ा सेवा संघ धर्मशाला के लिए 85 लाख की ग्रांट जारी कर दी है, जबकि उक्त यादगारी हाल के लिए न कोई जगह दी व न ही कोई फंड।

उक्त खेल स्टेडियम को देशभक्तों को समर्पित करने के लिए संगठन ने शहीद भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव यादगारी खेल स्टेडियम का बोर्ड लगाया था, जिसे फिर से हटा दिया है जिसे कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

पत्रकारों से बातचीत करते हुए प्रांतीय प्रधान हरिदरपाल सिंह खालसा ने कहा कि संगरूर में नेता जी सुभाष चंद्र बोस यादगारी हाल के निर्माण के लिए पंजाब सरकार, जिला प्रधान, हलका विधायक से पिछले दो दशक से जगह व ग्रांट की मांग की जा रही है, लेकिन आज तक उनकी मांग को पूरा नहीं किया गया। समय-समय की सरकारें व विधायकों सहित जिला प्रशासन ने इस मांग को पूरा न करके देशभक्तों का अपमान किया है। दूसरी तरफ संगरूर के कैबिनेट मंत्री अपने चहेतों पर खजाना लूटा रहे हैं। पहले कैप्टन कर्म सिंह नगर के पीछे खेल मैदान के लिए फंड व जगह मुहैया करवाई, जिसका नाम मरहूम कांग्रेसी पार्षद के नाम पर रख दिया गया। इस मैदान को संगठन ने देशभक्तों का नाम देने के लिए बोर्ड लगाया गया तो कुछ दिन पहले देशभक्तों के नाम का बोर्ड उखाड़कर फेंक दिया गया। इतना ही नहीं, अब एक बिरादरी के लिए भवन (धर्मशाला) का निर्माण करने के लिए 85 लाख रुपये की ग्रांट जारी हो चुकी है। भवन के निर्माण के लिए जगह बाद में खरीदी गई है, जबकि 50 लाख की ग्रांट पहले जारी हुई व जमीन की रजिस्ट्री होने के दो दिन बाद ही करीब 36 लाख की ग्रांट जारी कर दी। शहर में पौने तीन करोड़ की लागत से स्वागती गेटों का निर्माण हो रहा है, जिसका आम जनता को कोई लाभ नहीं है। ऐसे में साफ है कि पंजाब सरकार का खजाना देशभक्तों, स्वतंत्रता सेनानियों व उनके वारिसों के लिए खाली है, जबकि अपने चहेतों के लिए पंजाब सरकार के पास फंडों की कोई कमी नहीं है। उन्होंने संगरूर में नगर सुधार ट्रस्ट द्वारा करवाए गए विकास कार्यों सहित अरोड़ा सेवा संघ धर्मशाला को जारी हुई ग्रांट के मामले की सीबीआइ जांच की मांग की।

उन्होंने एलान किया कि 21 दिसंबर को स्वतंत्रता सेनानी उत्तराधिकारी संगठन की अगुआई में स्वतंत्रता सेनानी व उनके वारिस खेल मैदान में देशभक्तों की यादगार का बोर्ड लगाएंगे। अगर प्रशासन या सरकार ने उन्हें रोकने का प्रयास किया तो कड़ा विरोध किया जाएगा। इस मौके पर गुरइंद्रपाल सिंह, सियासत सिंह, परमजीत सिंह टीवाना, शमिदर कौर लोंगोवाल आदि उपस्थित थे।

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