पितरों की शांति के लिए मुक्ति कर्म करवाना ही श्राद्ध : पं. सौरव

दुनिया छोड़ चुके पितरों की शांति के लिए मुक्ति कर्म करवाना ही श्राद्ध है।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 18 Sep 2021 06:30 PM (IST) Updated:Sat, 18 Sep 2021 06:30 PM (IST)
पितरों की शांति के लिए मुक्ति कर्म करवाना ही श्राद्ध : पं. सौरव
पितरों की शांति के लिए मुक्ति कर्म करवाना ही श्राद्ध : पं. सौरव

संवाद सहयोगी, मालेरकोटला (संगरूर) : दुनिया छोड़ चुके पितरों की शांति के लिए मुक्ति कर्म करवाना ही श्राद्ध है। धर्म के अनुसार पितृ पक्ष का विशेष महत्व बताया गया है। पितृ पक्ष में पितरों को याद किया जाता है। पूर्वज अपनी देह का त्याग कर चले जाते हैं। उनकी आत्मा की शांति के लिए पितृ पक्ष में तर्पण किया जाता है। पंडित सौरव शर्मा ने दैनिक जागरण को बताया कि पंचांग के अनुसार पितृ पक्ष 20 सितंबर को भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि से आरंभ हो रहा है। पितृ पक्ष का समापन छह अक्टूबर को आश्विन मास की कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि पर होगा।

पितृ पक्ष में मृत्यु की तिथि के अनुसार श्राद्ध किया जाता है। अगर किसी मृत व्यक्ति की तिथि ज्ञात न हो तो ऐसी स्थिति में अमावस्या तिथि पर श्राद्ध किया जाता है। इस दिन सर्वपितृ श्राद्ध योग माना जाता है।

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पितृ पक्ष में श्राद्ध की तिथियां

पूर्णिमा श्राद्ध : 20 सितंबर, प्रतिपदा श्राद्ध : 21 सितंबर, द्वितीय श्राद्ध : 22 सितंबर, तृतीय श्राद्ध : 23 सितंबर, चतुर्थी श्राद्ध : 24 सितंबर, पंचमी श्राद्ध : 25 सितंबर, षष्ठी श्राद्ध : 27 सितंबर, सप्तमी श्राद्ध : 28 सितंबर, अष्टमी श्राद्ध: 29 सितंबर, नवमी श्राद्ध : 30 सितंबर, दशमी श्राद्ध : 1 अक्टूबर, एकादशी श्राद्ध : दो अक्टूबर, द्वादशी श्राद्ध: तीन अक्टूबर, त्रयोदशीश्राद्ध : 4 अक्टूबर, चतुर्दशी श्राद्ध : पांच अक्टूबर, अमावस्या श्राद्ध : छह अक्टूबर। इस वर्ष 26 सितंबर को श्राद्ध तिथि नहीं है।

------------------------ पौराणिक कथा

जब महाभारत के युद्ध में दानवीर कर्ण का निधन हो गया और उनकी आत्मा स्वर्ग पहुंच गई तो उन्हें नियमित भोजन की बजाय खाने के लिए सोना और गहने दिए गए। इस बात से निराश होकर कर्ण की आत्मा ने इंद्रदेव से इसका कारण पूछा तब इंद्र ने कर्ण को बताया कि आपने अपने पूरे जीवन में सोने के आभूषणों को दूसरों को दान किया। लेकिन कभी भी अपने पूर्वजों को खाना नहीं दिया। भगवान इंद्र ने उसे 16 दिनों की अवधि के लिए पृथ्वी पर वापस जाने की अनुमति दी। ताकि वह अपने पूर्वजों को भोजन दान कर सके। इसी 16 दिन की अवधि को पितृ पक्ष के रूप में जाना जाता है।

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