संगरूर के किसान ने निराले अंदाज में किया बाबा नानक को याद, दो एकड़ जमीन पर लिखा- 550 साल गुरु दे नाल

रणजीत ने कहा कि वह गेहूं की बिजाई करने के लिए वह खेत को तैयार कर रहा था। अचानक उसके मन में ख्याल आया कि क्यों ना अपने खेत में ही एक अलग अंदाज में अपने गुरु को याद किया जाए।

By Vikas KumarEdited By: Publish:Wed, 13 Nov 2019 03:02 PM (IST) Updated:Wed, 13 Nov 2019 03:29 PM (IST)
संगरूर के किसान ने निराले अंदाज में किया बाबा नानक को याद, दो एकड़ जमीन पर लिखा- 550 साल गुरु दे नाल
संगरूर के किसान ने निराले अंदाज में किया बाबा नानक को याद, दो एकड़ जमीन पर लिखा- 550 साल गुरु दे नाल

संगरूर, जेएनएन। श्री गुरु नानक देव जी के 550वें प्रकाश पर्व पर कण-कण बाबा नानक के रंग में रंगा हुअा है। इसी उपलक्ष्य में जिला संगरूर के तहसील धूरी के गांव मूल्लोवाल के किसान ने अपनी दो एकड़ जमीन पर ट्रैक्टर की मदद से "550 साल गुरु दे नाल" लिखकर बाबा नानक को याद किया। साथ ही इसकी ड्रोन की मदद से वीडियो भी बनाई गई।

संगरूर के गांव मूलोवाल के एक किसान रणजीत सिंह ने करतारपुर कॉरिडोर खुलने व बाबा नानक के 550वें प्रकाश पर्व की खुशी कुछ अलग ढंग से मनाते हुए अपने खेत में ट्रैक्टर व हल की मदद से "550 साल गुरु दे नाल" लिखकर मनाई। रणजीत सिंह ने कहा कि वह गेहूं की बिजाई करने के लिए वह खेत को तैयार कर रहा था। अचानक उसके मन में ख्याल आया कि क्यों ना अपने खेत में ही एक अलग अंदाज में गुरु को याद किया जाए, तो उसने ट्रैक्टर की मदद से 550 साल लिखकर देखा। उसके बाद वह कुछ और करना चाहता था तो उसने अपने साथियों की मदद ली। उसके साथी लखबीर सिंह ने जो ड्राइंग अच्छी तरह से जानता था, ने कहा कि हमें इसके लिए 2 एकड़ से ज्यादा जमीन चाहिए, जिस पर "550 साल गुरु दे नाल" लिखा जाएगा। इसके बाद उन्होंने उतनी जमीन को समतल किया और पहली बार में ही अपने ट्रैक्टर की मदद के साथ वह संदेश लिख दिया जिसको सिर्फ 15 से 20 मिनट का समय लगा।

वाहेगुरु की मेहर से सफल हुआ प्रयासः रणजीत

रणजीत सिंह का मानना है कि वह गुरु की शक्ति थी जो पहली बार में ही इतनी सुंदर अक्षर में लिखा गया, जिसको और सुंदर बनाने के लिए ड्रोन कैमरे से शूट किया। यह वाहेगुरु की मेहर है कि उसका यह प्रयास सफल रहा अौर इस आकृति को बनाने की वीडियो को लोगों ने काफी पसंद किया। वहीं रणजीत के दोस्त लखबीर ने कहा कि यह कार्य काफी मुश्किल कल रहा था। पहला अक्षर लिखा तो यह कुछ आसान लगा। फिर महज 2 एकड़ जमीन को साफ किया और हमने वहां पर नीचे निशानियां लगानी शुरू कर दी, जिसके बाद ट्रैक्टर की मदद से बेहद सुंदर अक्षरों में बाबा नानक को याद किया।

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