पुराने खिलाड़ी लेकर मैदान में उतरी शिअद (ब), संगरूर-धूरी पर असमंजस बरकरार
विधानसभा चुनाव 2022 मुकाबले के लिए पीच तैयार हो गई है व सभी राजनीतिक पार्टियां अपने खिलाड़ियों के चयन के लिए जुट गई हैं।
जागरण संवाददाता, संगरूर
विधानसभा चुनाव 2022 मुकाबले के लिए पीच तैयार हो गई है व सभी राजनीतिक पार्टियां अपने खिलाड़ियों के चयन के लिए जुट गई हैं। शिअद (ब) ने अन्य राजनीतिक दलों के मुकाबले जिला संगरूर व मालेरकोटला की कुल सात हलकों में से पांच पर अपने उम्मीदवार उतार दिए हैं। रविवार को शिअद (ब) ने हलका मालेरकोटला से पूर्व मंत्री नुसरत इकराम खान बग्गा को जिम्मेदारी दी है। वहीं चार हलकों पर पहले ही उम्मीदवार घोषित किए जा चुके हैं। अकाली दल (ब) एक बार फिर अपने पुराने 'खिलाड़ियों' को लेकर मैदान में उतरी है, जबकि अभी संगरूर व धूरी हलके के लिए असमंजस की स्थिति बनी हुई है। पुराने चेहरे जिला संगरूर व मालेरकोटला की जनता को कितने लुभा पाएंगे यह तो समय ही बताएगा, लेकिन शिअद (ब) की टीम में अभी तक कोई युवा चेहरा दिखाई न देने के कारण युवा वोटर व वर्कर दोनो ही मायूस हैं। एतराज के बाद बदली टिकट, नुरसत अली खान को मौका
शिअद (ब) द्वारा हलका मालेरकोटला से अपने पुराने चेहरे नुसरत खान बग्गा को उम्मीदवार घोषित किया है। वह वर्ष 1985 व 1997 के विधानसभा चुनाव दौरान अकाली दल के उम्मीदवार के तौर पर मालेरकोटला हलके से जीत तक विधानसभा की सीढि़यां चढ़े। अकाली सरकार के समय दौरान वर्ष 1997-2002 तक उन्हें बतौर कैबिनेट खेल मंत्री की जिम्मेदारी सौंपी गई।
सियासत के मंझे हुए खिलाड़ी होने के चलते उनकी इलाके में अच्छी पकड़ है। बेशक अकाली दल ने गत माह इलाके के प्रसिद्ध उद्योगपति मोहम्मद ओवैस के करीबी मोहम्मद यूनस को मालेरकोटला हलके से उम्मीदवार घोषित किया था, लेकिन इलाके के अकाली वर्करों द्वारा इस पर कड़ा एतराज जाहिर किया गया, जिसके बाद पार्टी प्रधान सुखबीर सिंह बादल ने उम्मीदवार चेहरे पर पुनर्विचार करके नुसरत अली खान को मौका दिया।
युवा चेहरों की दिखी कमी, युवा वोटरों पर पड़ेगा असर
अकाली दल (ब) ने बेशक जिला संगरूर व मालेरकोटला के सात हलकों में से पांच हलकों पर उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है, लेकिन इन चेहरों में नए व युवा चेहरे की कमी भी साफ दिखाई दे रही है। ऐसे में युवा वोटरों के दिल में उतरने के लिए इन उम्मीदवारों को जहां कड़ी मशक्कत करनी पड़ेगी, वहीं यूथ अकाली दल के नेताओं व वर्करों में भी मायूसी का आलम है। अकाली दल के पास हलका दिड़बा से गुलजार सिंह ही इकलौते युवा चेहरे हैं, जबकि हलका अमरगढ़ से 60 वर्षीय इकबाल सिंह झूंदा, हलका लहरागागा से 65 वर्षीय गोबिद सिंह लोंगोवाल, हलका सुनाम से 79 वर्षीय बलदेव सिंह मान को मैदान में उतारा है। संगरूर व धूरी पर जद्दोजहद
अकाली दल (ब) को हलका संगरूर व धूरी से उम्मीदवारों की तलाश में खासी माथापच्ची करनी पड़ रही है। संगरूर हलके पर मजबूत उम्मीदवार दिखाई नहीं दे रहा है, जिस कारण अकालियों में भी मायूसी का आलम है। संगरूर से तीन बार चुनाव लड़ चुके बाबू प्रकाश चंद ने धूरी की तरफ रूख कर लिया था, लेकिन धूरी के अकालियों ने भी उन्हें स्वीकार करने से मुख मोड़ लिया है, जिस कारण संगरूर व धूरी दोनों ही 'लावारिस' हलके बनकर रह गए हैं। अरविद खन्ना के अकाली दल से राजनीति में दोबारा कदम रखने की चर्चाएं भी थम ही गई हैं। ऐसे में इन दोनों हलकों में से एक हलके पर अकाली दल (ब) बरनाला परिवार को भी एडजस्ट कर सकता है और एक हलके पर पैराशूट एंट्री भी होने की संभावना है।