पक्के मोर्चे पर डटे डाक्टर, अस्पतालों में मरीज बेहाल
छठे वेतन आयोग की रिपोर्ट में एनपीए में कटौती किए जाने के फरमान के खिलाफ डाक्टरों की 12 जुलाई से चल रही हड़ताल मंगलवार को भी जारी रही। अस्पतालों में पैरलल ओपीडी भी बंद करके डाक्टरों ने सिविल सर्जन दफ्तर के समक्ष धरना लगाकर सरकार के खिलाफ रोष प्रदर्शन किया। साथ ही एलान किया कि सरकारी अस्पतालों की ओपीडी सहित सिविल सर्जन दफ्तर का कामकाज भी ठप रखा जाएगा।
संवाद सूत्र, संगरूर : छठे वेतन आयोग की रिपोर्ट में एनपीए में कटौती किए जाने के फरमान के खिलाफ डाक्टरों की 12 जुलाई से चल रही हड़ताल मंगलवार को भी जारी रही। अस्पतालों में पैरलल ओपीडी भी बंद करके डाक्टरों ने सिविल सर्जन दफ्तर के समक्ष धरना लगाकर सरकार के खिलाफ रोष प्रदर्शन किया। साथ ही एलान किया कि सरकारी अस्पतालों की ओपीडी सहित सिविल सर्जन दफ्तर का कामकाज भी ठप रखा जाएगा। सिविल सर्जन दफ्तर में धरना बुधवार तक जारी रहेगा। वीरवार को राज्य स्तर पर धरना लगाया जाएगा।
डाक्टरों के धरने व दफ्तर के कर्मचारियों की हड़ताल के कारण दफ्तर में जन्म-मौत सर्टिफिकेट , दिव्यांगता व मेडिकल सर्टिफिकेट बनाने सहित अन्य कामकाज बंद रहे। डाक्टरों की हड़ताल के कारण आम लोग परेशान हो रहे हैं, क्योंकि डाक्टरों की हड़ताल को करीब एक माह का समय होने को है। बेशक गत सप्ताह तक डाक्टर पैरलल ओपीडी चलाकर मरीजों को मेडिकल सुविधाएं दे रहे थे, लेकिन सरकार द्वारा उनकी मांगें पूरी करने का भरोसा दिलाए जाने के बाद भी मांगों को पूरा न किए जाने के रोष में डाक्टरों ने पैरलल ओपीडी भी बंद कर दी।
सरकारी अस्पताल संगरूर के डाक्टरों द्वारा सिविल सर्जन कार्यलय समक्ष शुरू किए अनिश्चितकालीन धरने के दूसरे दिन सरकारी अस्पताल में ओपीडी का काम ठप रहा। जबकि दूसरी तरफ डाक्टरों की हड़ताल से सिविल अस्पताल में सेहत सेवाएं ठप रहीं। इससे मरीजों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। पंजाब सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए डाक्टरों ने रोष व्यक्त किया कि सरकार उनकी मांगों को लगातार अनदेखा कर रही है। उन्हें एनपीए के मुद्दे को लेकर एक महीने से अधिक संघर्ष करते हो गया है। लेकिन सरकार उनकी मांग पर ध्यान नहीं दे रही। खफा होकर सिविल सर्जन दफ्तर समक्ष दिन रात का धरना शुरु कर दिया है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि उनकी मांगों पर गौर न की तो संघर्ष ओर तेज होगा। इस मौके डा. राहुल गुप्ता, डा. अमनप्रीत कौर, डा. परमवीर सिंह, डा. विनोद, डा. दीपक, डा. रामवीर आदि थे।