मालेरकोटला के जिला बनते ही राजनीतिक समीकरण बदले
एकाधिकार की लड़ाई में आखिरकार कैबिनेट मंत्री रजिया सुल्ताना की जीत हुई। हालांकि मालेरकोटला को जिला बनाने के लिए 2002 से मांग चल रही थी लेकिन मौजूदा कांग्रेस सरकार के दौरान दो कैबिनेट मंत्रियों की जिला संगरूर में एकाधिकार की लड़ाई ने मालेरकोटला को जिला बनाने में ज्यादा अहम भूमिका निभाई है।
सचिन धनजस, संगरूर
एकाधिकार की लड़ाई में आखिरकार कैबिनेट मंत्री रजिया सुल्ताना की जीत हुई। हालांकि, मालेरकोटला को जिला बनाने के लिए 2002 से मांग चल रही थी, लेकिन मौजूदा कांग्रेस सरकार के दौरान दो कैबिनेट मंत्रियों की जिला संगरूर में एकाधिकार की लड़ाई ने मालेरकोटला को जिला बनाने में ज्यादा अहम भूमिका निभाई है। मालेरकोटला के जिला बनते ही जहां रजिया सुल्ताना का कद राजनीतिक लिहाज से काफी ऊंचा हुआ है, वहीं अन्य राजनीतिक पार्टियों के लिए भी आत्ममंथन की बारी आ गई है।
मालेरकोटला के जिला बनते ही संगरूर की राजनीति के राजनीतिक समीकरण भी बदलेंगे। पिछले अढ़ाई सालों से जिला संगरूर पर कैबिनेट मंत्री विजयइंद्र सिगला का एकाधिकार था। प्रशासन में वर्करों के कामकाज से लेकर अधिकारियों व कर्मचारियों के जिला स्तरीय फेरबदल में कैबिनेट मंत्री सिगला की अहम भूमिका रहती थी, जो अब मालेरकोटला जिला बनने के बाद जिला संगरूर तक सीमित रह जाएगी और मालेरकोटला के फैसले कैबिनेट मंत्री रजिया सुल्ताना के अधिकार क्षेत्र में आ जाएंगे। - मुस्लिम भाईचारे को लुभाने में कामयाब रही रजिया
कैबिनेट मंत्री रजिया सुल्ताना ने मालेरकोटला को जिला घोषित करवाकर न केवल मालेरकोटला निवासियों का दिल जीत लिया है, बल्कि मुस्लिम भाईचारे में भी अपनी अच्छी पैठ जमा ली है। मुस्लिम भाईचारा लंबे अर्से से मालेरकोटला को जिला बनाने की मांग कर रहा था, लेकिन अकाली सरकार दौरान यह मांग पूरी न हो सकती। इसका खामियाजा अकाली उम्मीदवार को हार से चुकाना पड़ा था। - अकाली दल व आप को करना होगा मंथन
कांग्रेस सरकार द्वारा मालेरकोटला को जिला घोषित करवाकर न केवल मालेरकोटला में राजनीतिक बढ़त हासिल कर ली है, बल्कि अन्य राजनीतिक पार्टियों के लिए चुनौती बन गई है। अकाली दल व आम आदमी पार्टी की टिकट के दावेदारों के लिए अब मंथन करने की बारी आ गई है।