अकाली-भाजपा ने लगाई हार की हैट्रिक

लोकसभा चुनावों के परिणाम से साफ हो गया है कि शिरोमणि अकाली दल 2014 में हुई लोकसभा चुनावों व 2017 के विस चुनावों के बाद इन चुनावों में अपने पहले आंकड़े कायम नहीं रख सका।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 23 May 2019 06:55 PM (IST) Updated:Thu, 23 May 2019 06:55 PM (IST)
अकाली-भाजपा ने लगाई हार की हैट्रिक
अकाली-भाजपा ने लगाई हार की हैट्रिक

जागरण संवाददाता, संगरूर : वर्ष

2009, 2014 के बाद 2019 में भी लोकसभा चुनाव में अकाली-भाजपा प्रत्याशी की हार से लोकसभा हलका संगरूर में पार्टी ने हार की हैट्रिक लगा दी है। पहले दो चुनाव में राज्यसभा सदस्य सुखदेव सिंह ढींडसा को हार का सामना करना पड़ा, जबकि वर्ष 2019 दौरान परमिदर सिंह ढींडसा को भगवंत मान के हाथों हार देखनी पड़ी। अब तक लगातार पांच बार विधानसभा चुनाव जीतने वाले परमिदर सिंह ढींडसा जीत का सिक्सर लगाने में असफल हुए। लोकसभा चुनाव के दौरान अपने परिणाम से परमिदर सिंह ढींडसा इतना जान चुके थे कि मतगणना केंद्र पर भी नहीं पहुंचे थे। उनके समर्थक ही मतगणना केंद्र में थे, जबकि ढींडसा ने दूरी बनाए रखी।

राज्यसभा सदस्य सुखदेव सिंह ढींडसा तो पहले ही पार्टी पदों से इस्तीफा देकर लोकसभा चुनाव लड़ने से साफ इंकार कर चुके थे व साथ ही अपने पुत्र परमिदर सिंह ढींडसा को भी चुनाव न लड़ने की सलाह दी थी, लेकिन परमिदर ढींडसा ने पार्टी का हुकम मानते हुए लोकसभा चुनाव मैदान में उतर गए। अकाली दल के लिए गढ़ मानी जाने वाली संगरूर सीट पर अकाली दल अब अस्तित्व की लड़ाई लग रहा है। वर्ष 2014 लोकसभा चुनाव में हार के बाद विधानसभा चुनाव के दौरान भी अकाली दल के हाथ केवल एक ही सीट लगी। नामोशी भरपूर सामने आए आंकड़ों ने जिला लोकसभा क्षेत्र संगरूर व बरनाला के इंचार्जों, विधायकों, शिरोमणि कमेटी सदस्यों व अन्य जिम्मेवार पदाधिकारियों को सोचने पर मजबूर कर दिया है। भगवंत मान ने जहां 4.12 लाख वोट हासिल किए, वहीं परमिदर सिंह ढींडसा 2.62 लाख वोट से तीसरे स्थान पर रहे। जबकि 2014 में सुखदेव सिंह ढींडसा दूसरे स्थान पर रहे थे।

गौर हो कि परमिदर सिंह ढींडसा ने विधानसभा क्षेत्र लहरागागा से पूर्व मुख्यमंत्री राजिदर कौर भट्ठल बड़े अंतर से चुनाव हराकर उनके सियासी जीवन पर सवालिया निशान लगाने में कामयाब रहे थे। 2019 लोकसभा संगरूर अधीन सभी विधानसभा हलकों में शिअद-भाजपा प्रत्याशी परमिदर सिंह ढींडसा को किसी पर भी लीड हासिल नहीं हुई व ढींडसा तीसरे स्थान पर ही रहे। इससे पहले वह 1999, 2002, 2007 व 2012 में विधानसभा क्षेत्र सुनाम व 2017 में विधानसभा क्षेत्र लहरागागा से चुनाव जीतने का रिकार्ड बना चुके हैं। पार्टी के फैसले को स्वीकार, मैदान में नहीं दिखाई सरगर्मी

राज्यसभा सदस्य सुखदेव सिंह ढींडसा की सलाह पर परमिदर सिंह ढींडसा संगरूर सीट पर लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए इच्छुक नहीं थे, कितु अकाली दल के प्रधान सुखबीर सिंह बादल ने उन्हें चुनाव मैदान में उतारा। पिता के इंकार करने के बाद भी परमिदर सिंह ढींडसा ने अपने सियासी भविष्य को बरकरार रखने व शिअद में अपनी बनी हुई जगह को कायम रखने के लिए यह चुनाव लड़ने का मन बनाया था, कितु चुनावी प्रचार दौरान भी वह कुछ खास सरगर्मी दिखाते नजर नहीं आए। वहीं उनके पिता सुखदेव सिंह ढींडसा भी चुनाव प्रचार दौरान मैदान में नहीं उतरे। भविष्य क्या होगा, अभी समझ से रहे

भगवंत मान लगभग एक वर्ष से क्षेत्र में चुनाव लड़ने संबंधी अपनी तैयारी कर रहे थे, वहीं सुखदेव सिंह ढींडसा का परिवार शिअद से अलग होने व यह चुनाव न लड़े या न लड़े की उलझ में ही व्यस्त था। भविष्य में यदि ढींडसा परिवार ने अपनी सरदारी संगरूर व बरनाला जिलों में कायम रखनी है तो इसके लिए बहुत कुछ करना होगा। परिवार को यह भी सोचना होगा कि सुखदेव सिंह ढींडसा के दिए इस्तीफे को इसी तरह कायम रखना है या नहीं।

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