भगवान से याचना नहीं प्रार्थना करनी चाहिए : साध्वी समर्थ
स्थानीय जैन स्थानक में चल रही धर्मसभा को संबोधित करते महासाध्वी समर्थ श्री ने फरमाया कि भगवान को की जाने वाली प्रार्थना स्वार्थ रहित होनी चाहिए।
जागरण संवाददाता, संगरूर
स्थानीय जैन स्थानक में चल रही धर्मसभा को संबोधित करते महासाध्वी समर्थ श्री ने फरमाया कि भगवान को की जाने वाली प्रार्थना स्वार्थ रहित होनी चाहिए। जिस प्रकार गोताखोर लाल रत्न ढूंढने के लिए गहरे समुद्र में उतरता है, ठीक वैसे ही प्रार्थना के जरिए कृपा पाने के लिए मन की गहराई में उतरना चाहिए। मन से की गई प्रार्थना कभी अधूरी नहीं रहती। भगवान से याचना नहीं करनी चाहिए, बल्कि प्रार्थना करनी चाहिए, क्योंकि प्रार्थना में भक्ति है और याचना में लालच होता है।
उन्होंने कहा कि आज के दौर में मंदिरों में भगवान के पुजारी कम और दुनियावी पदार्थ मांगने वाले भिखारी ज्यादा हैं, जिससे मनुष्य कभी सुखी नहीं होता। कोई भी काम शुरू करने से पहले भगवान के समक्ष प्रार्थना करनी चाहिए। ऐसा करने से मनुष्य को प्रत्येक क्षेत्र में सफलता मिलती है। उन्होंने कहा कि यदि प्रार्थना में मीराबाई, शबरी, सुदामा जैसी सच्ची प्रेमभक्ति हो तो भगवान उसकी मनोकामनाएं जरूर पूरी करते हैं। उसका लोक व परलोक दोनों सुखी होते हैं। जबकि ढोंगी व लालच वस होकर की गई प्रार्थना व भक्ति कभी स्वीकार नहीं होती।
साध्वी ने कहा कि अन्न से अधिक दान जल का होता है। जल के बगैर मनुष्य एक पल भी जिदा नहीं रह सकता। अन्न के बगैर कई दिन गुजारे जा सकते हैं। जल को जीवन कहा गया है जिसे साफ रखना सभी का धर्म है। मौजूदा दौर में मनुष्य की अंधी दौड़ ने जल, वायु, आकाश, धरती को प्रदूषित कर दिया है जिसका परिणाम सबके सामने आ रहा है। धर्मसभा में बड़ी संख्या में जनसमुदाय मौजूद था।