मिनिस्टीरियल कर्मियों ने शुरू की कलमछोड़ हड़ताल
मिनिस्टीरियल मुलाजिमों की पे कमिशन संबंधी मांगे लागू करवाने पे स्केल लागू करवाने की मांग की।
जागरण संवाददाता, संगरूर : मिनिस्टीरियल मुलाजिमों की पे कमिशन संबंधी मांगे लागू करवाने, पे कमिशन की रिपोर्ट में संशोधन करवाने, 31 दिसंबर 2015 के बाद प्रमोट हुए कर्मचारियों के लिए एचआरएमएस पर आप्शन अपडेट करवाने, पुरानी पेंशन बहाली आदि मांगों को पूरा करवाने के लिए संगरूर-मालेरकोटाल के दो हजार मिनिस्टीरियल मुलाजिम 9 व 10 दिसंबर की मुकम्मल कलम छोड़ हड़ताल पर चले गए हैं। संगरूर में पंजाब स्टेट मिनिस्टीरियल सर्विसेज यूनियन पंजाब के राज्य प्रधान वसवीर सिंह भुल्लर की अगुआई में जिला प्रधान राकेश शर्मा, जिला महासचिव राजवीर बड़रूखां, प्रेस सचिव अनुज शर्मा, सचिव नवीन पराशर, सलाहकार तरसेम खन्ना, हरप्रीत सिंह ने दो दिवसीय हड़ताल शुरू करने का एलान किया गया। उन्होंने कहा कि यदि सरकार ने मांगों पर गौर न की तो 14 दिसंबर से आगामी संघर्ष का एलान किया जाएगा।
मिनिस्टीरियल मुलाजिमों की हड़ताल के कारण दफ्तरी कामकाज ठप हो गया है। डीसी कोर्ट से संबंधित मामलों की सुनवाई भी रुक गई है। ऐसे में कई केसों में पैरोल रुक गए हैं। असलाह लाइसेंस, पेंशन, लाल कापी बनाने, जन्म-मौत के सर्टिफिकेट बनाने, मैरिज रजिस्ट्रेशन का काम नहीं हो पाया है। लोग दफ्तरों में भटकने के बाद खाली हाथ वापस लौटने को मजबूर हैं। पिछले कई दिनों से लोगों को अपने कामकाज के लिए परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इतना ही नहीं, अब लोगों को सोमवार तक अपने कामकाज के लिए इंतजार करना होगा। अगर सोमवार तक मांगों प्रति सरकार ने कोई सहमति जाहिर न की तो यह हड़ताल आगे भी बढ़ाई जा सकती है, जिसका खामियाजा आम लोगों को भुगतना पड़ेगा।
उन्होंने मांग की कि छठे पे कमिशन की रिपोर्ट में पाई जा रही कमियां जल्द दूर की जाएं, कमी दूर करने के बाद आप्शन एचआरएमएस पर अपलोड की जाए, ताकि 2015 के बाद प्रमोट होने वाले मुलाजिमों को पे कमिशन की रिपोर्ट का योग्य लाभ मिल सके। राज्य प्रधान वासवीर भुल्लर, सरप्रस्त बलविदर सोही ने कहा कि चुनाव आचार संहिता लगने का बहाना बनाकर मुलाजिमों की मांगों को एक बार फिर अनदेखा कर दिया जाएगा। यदि ऐसा हुआ तो इसका परिणाम विधानसभा चुनाव में दिखाया जाएगा। उन्होंने कहा कि दस दिसंबर तक रोष रैलियां व प्रदर्शन जारी रहेंगे। प्रेस सचिव अनुज शर्मा ने बताया कि मुलाजिमों की मांगों पर सरकार ध्यान नहीं दे रही है, जिससे मुलाजिम वर्ग खफा हैं।