मनुष्य को अपनी आत्मा में ही परमात्मा का दर्शन करना चाहिए: अकामानंद
श्री राधे-कृष्णा धर्म प्रचार कमेटी एवं संकीर्तन मंडली द्वारा करवाए जा रहे श्रीमद्भागवत सप्ताह ज्ञान यज्ञ में तीसरे दिन स्वामी अकामानंद ने अपने प्रवचनों में कहा कि मनुष्य अपनी आत्मा में परमात्मा का दर्शन करना चाहिए।
संवाद सूत्र, सुनाम ऊधम सिंह वाला (संगरूर) : श्री राधे-कृष्णा धर्म प्रचार कमेटी एवं संकीर्तन मंडली द्वारा करवाए जा रहे श्रीमद्भागवत सप्ताह ज्ञान यज्ञ में तीसरे दिन स्वामी अकामानंद ने अपने प्रवचनों में कहा कि मनुष्य अपनी आत्मा में परमात्मा का दर्शन करना चाहिए। तुम खुद ही साक्षात पर ब्रह्म हो गुरु कृपा से ज्ञान मिलते ही पता चल जाता है कि आत्मा व परमात्मा में एकता है। सतगुरु के मार्गदर्शन से ही ज्ञान की प्राप्ति होती है, जिससे मनुष्य उस परमपिता परमात्मा को अपने भीतर ढूंढ लेता है, क्योंकि शरीर तो आत्मा का कवच है। शरीर व आत्मा दोनों विभिन्न है। उन्होंने कहा कि मनुष्य को आत्मा की खुराक के लिए कीर्तन, भजन, भक्ति व सत्संग में समय बिताना चाहिए। कथा में स्वामी जी का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए पार्षद निर्मलादेवी व उनके पति सतपाल सत्ती विशेष रूप में पहुंचे। कथा के मुख्य यजमान दर्शन कुमार टिबर मरचेंट्स हरियाऊ वालों ने 31000 का दान इस कथा अनुष्ठान के लिए दिया। मंच संचालन करते हुए यशपाल मंगला ने कहा कि हमें स्वामी श्री की पावन वाणी से मार्गदर्शन लेते हुए अपने जीवन को सही दिशा की ओर ले कर जाना चाहिए। कथा एकाग्र चित्त होकर सुननी चाहिए। हरीश अरोड़ा प्रधान, यादविदर निर्माण पूर्व नगर पार्षद, बद्री कुलार, राजीव मास्टर, लक्की कुलार, गौरव जनालिया, संजीव सिगला, राजू सिगला, चिमनलाल, यशपाल सिगला, सोमनाथ शर्मा, मनोहर लाल गांधी, एवम बड़ी गिनती में महिलाएं उपस्थित थीं।