चार वर्षों से बिना पराली जलाए खेती कर रहा कुलजीत
मिशन तंदुरुस्त पंजाब के तहत खेतीबाड़ी व किसान भलाई विभाग संगरूर द्वारा जिले के किसानों को फसलों के अवशेष न जलाकर इसे खाद के रूप में इस्तेमाल करने संबंधी कैंप लगाकर जागरूक किया जा रहा है।
जागरण संवाददाता, संगरूर
मिशन तंदुरुस्त पंजाब के तहत खेतीबाड़ी व किसान भलाई विभाग संगरूर द्वारा जिले के किसानों को फसलों के अवशेष न जलाकर इसे खाद के रूप में इस्तेमाल करने संबंधी कैंप लगाकर जागरूक किया जा रहा है। कई किसान विभाग की बात मानकर अवशेषों को बगैर जलाए जमीन में मिलाकर खाद का काम ले रहे हैं।
गांव फतेहगढ़ छन्ना ब्लॉक संगरूर का प्रगतिशील किसान कुलजीत सिंह गत चार वर्षों से अपनी तीन एकड़ भूमि में बगैर पराली जलाए हैपी सीडर के जरिए गेहूं की बुवाई कर रहा है। इलाके के किसान तेजी से फसलों के अवशेषों को जलाने से मुंह मोड़ रहे हैं।
किसान कुलजीत सिंह ने बताया कि पंजाब सरकार द्वारा पराली की संभाल हेतु चलाई स्कीम क्राप रिजिडयू मैनेजमेंट के जरिए अवशेषों को खेत में मिलाकर खेती कर रहा है। उसने अपनी पत्नी मनजिदर कौर के नाम पर 50 फीसद सब्सिडी पर एक सुपरसीडर खरीद रखा है। 2015 में उसने सोचा कि अब आगे से वह फसल के अवशेष को नहीं जलाएगा। दूसरे किसानों को भी ऐसा करने के लिए प्रेरित करेगा। बस फिर क्या था कुलजीत सिंह तब से लेकर आज तक धान के अवशेषों के बीच हैपीसीडर व रोटावेटर से गेहूं की बुवाई करता आ रहा है। उसका खाद, कीटनाशक व पोषक तत्वों पर होने वाला काफी खर्च बचा है।
--------------------- जमीन की उपजाऊ शक्ति बढ़ी : कुलजीत किसान कुलजीत ने बताया कि उसने आठ एकड़ में हैपीसीडर से गेहूं की बुवाई की, जिसकी पैदावार गत वर्ष के मुकाबले अधिक थी। इसके अलावा दूसरे खेती खर्चों में भी कमी आई। हैपी सीडर से बुवाई करने से पहले उसके खेत में कलर की मात्रा अधिक थी, लेकिन अब पराली व गेहूं के अवशेष सीधा जमीन में मिलाने से जैविक मादे में बढ़ोती हुई है। जमीन की उपज शक्ति बढ़ती जा रही है। ------------------------ बायोगैस प्लांट से एपीजी की बचत:-
उन्होंने बताया कि खेती के अलावा उसने कुल नौ गाय व भैंस ले रखी हैं। दूध का स्वयं मंडीकरण कर अच्छा मुनाफा कमा रहा है। साथ में घर में बायोगैस प्लांट भी लगा है जिसका इस्तेमाल रसोई में भोजन पकाने व गैस गीजर में होता है। रसोई में सिलेंडर इस्तेमाल नहीं किया जाता। बचे हुए गोबर को रूड़ी के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।
----------------------- फसलों के अवशेष जलाने से गुरेज करने लगे किसान : ग्रेवाल
मुख्य खेतीबाड़ी अफसर डा. जसविदर सिंह ग्रेवाल ने कहा कि धान की पराली व गेहूं की नाड़ को आग लगाने से पर्यावरण प्रदूषित होता है। जमीन की उपज शक्ति कम होती है। नतीजन पैदावार पर असर पड़ता है। ऐसे में किसान कुलजीत सिंह की तरह सरकार द्वारा दी जा रही सब्सिडी का फायदा उठाते हुए हैपीसीडर व सुपरसीडर से गेहूं की बुवाई करनी चाहिए।