ज्ञान सबसे अधिक प्रकाशवान: महासाध्वी समर्थ
चातुर्मास के उपलक्ष्य में शहर के जैन स्थानक में चल रहे प्रवचनों के तीसरे दिन महासाध्वी समर्थ श्री ने भक्तों को संबोधित करते हुए फरमाया कि भगवान महावीर स्वामी ने लिखा है कि ज्ञान सबसे अधिक प्रकाशवान है।
जागरण संवाददाता, संगरूर
चातुर्मास के उपलक्ष्य में शहर के जैन स्थानक में चल रहे प्रवचनों के तीसरे दिन महासाध्वी समर्थ श्री ने भक्तों को संबोधित करते हुए फरमाया कि भगवान महावीर स्वामी ने लिखा है कि ज्ञान सबसे अधिक प्रकाशवान है। संसार की विभिन्न नगरों व गलियों में साधुसंत गुरु बनकर ज्ञान का प्रकाश बांटने आते हैं। उनका आदर करना सभी का फर्ज बनता है।
उन्होंने फरमाया कि संत भगवान के प्रिय होते हैं जो परमेश्वर की पाठशाला चलाकर लोगों को सच्चा उपदेश देते हैं। ऐसे में स्वयं भगवान महावीर प्रिसिपल की तरह हैं। साधु संत उनके अध्यापक हैं और प्रवचन सभा कक्षा की तरह है, जहां जीवन जीने की कला सिखाई जाती है। उन्होंने कहा कि मन रूपी कोरे कागज पर अच्छे गुणों व ज्ञान की सियाही से वचन लिखकर पाप से मुक्ति मिलती है। भगवान के दिए सूत्रों को जीवन में ढालकर संसार सागर को पार किया जा सकता है।
साध्वी समबुध महाराज ने फरमाया कि पुण्य की दौलत को कमाकर दूसरो की सहायता करनी चाहिए। सभा के सहमंत्री सतभूषण जैन ने बताया कि शनिवार को 24 घंटे के अखंड जाप का भोग डाला गया है। अब तपस्या की लड़ी शुरू हो गई है। रविवार को परिवार दिवस मनाया जाएगा जिसमें शामिल परिवारों को एकसाथ मिलकर रहने के नुकते बताए जाएंगे।