मेरा कोई न सहारा बिन तेरे, नंदलाल सांवरिया मेरे..
श्री सत्य नारायण मंदिर में श्रीमद्भागवत कथा के तीसरे दिन डा. संजय कृष्ण सलिल महाराज ने प्रवचन करते हुए बताया कि भगवान श्रीकृष्ण भीष्म पितामाह को अंतिम समय दर्शन देने के लिए गए जो भगवान का इंतजार कर रहे थे।
संवाद सहयोगी, अहमदगढ़ (संगरूर)
श्री सत्य नारायण मंदिर में श्रीमद्भागवत कथा के तीसरे दिन डा. संजय कृष्ण सलिल महाराज ने प्रवचन करते हुए बताया कि भगवान श्रीकृष्ण भीष्म पितामाह को अंतिम समय दर्शन देने के लिए गए, जो भगवान का इंतजार कर रहे थे। बाणों की शैया पर लेटे हुए भगवान का उद्देश्य भीष्म पितामह को दर्शन देना तो था, साथ में भगवान चाहते थे कि पितामह से कुछ उपदेश भी पांडवों को मिले। भगवान उसके पश्चात द्वारका पधारे। परीक्षित जी का जन्म हुआ। परीक्षित बड़े हुए, एक दिन भूख प्यास से व्याकुल परीक्षित जंगल में गए। वहां एक ऋषि के गले में सर्प डाल दिए। ऋषि पुत्र सृंगी ने श्राप परीक्षित को दिया और परीक्षित अपने पुत्र को राज देकर गंगा किनारे आ गए, वहीं पर भगवान शुक्र देव का आगमन हुआ। शुक्रदेव भगवान द्वारा सृष्टि का वर्णन कपिल भगवान अवतार सती चरित्र की कथा सुनाई। भजन मेरा कोई न सहारा बिन तेरे, नंदलाल सांवरिया मेरे, तुम दीन बंधु हितकारी, मैं दुखिया शरण तिहारी, काटो जन्म मरण के फेरे भजन गाकर भक्तों का दिल झूमने लगा दिया।