सात वर्ष से बिना पराली जलाए खेती कर रहा गुरिदर सिंह

जिले के गांव कनोई का प्रगतिशील किसान गुरिदर सिंह गत सात वर्षों से फसलों के अवशेष न जलाकर पर्यावरण की शुद्धता में अहम योगदान डाल रहा है।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 25 Oct 2021 04:53 PM (IST) Updated:Mon, 25 Oct 2021 04:53 PM (IST)
सात वर्ष से बिना पराली जलाए खेती कर रहा गुरिदर सिंह
सात वर्ष से बिना पराली जलाए खेती कर रहा गुरिदर सिंह

जागरण संवाददाता, संगरूर

जिले के गांव कनोई का प्रगतिशील किसान गुरिदर सिंह गत सात वर्षों से फसलों के अवशेष न जलाकर पर्यावरण की शुद्धता में अहम योगदान डाल रहा है। उसका काम देखकर आसपास के गांव के दूसरे किसान भी आकर्षित हो रहे हैं।

गुरिदर सिंह ने बताया कि वह 2014 से अपनी बारह एकड़ जमीन में हैपीसीडर से गेंहू की बुवाई कर रहा है। उसने दो एकड़ जमीन ठेके पर ली हुई है। 2019 में उसे पीएयू लुधियाना में केंद्रीय खेतीबाड़ी मंत्री तोमर व मार्च में केंद्रीय राज्यमंत्री प्रशोत्म रूपला ने नई दल्ली में सम्मानित किया था। इसके अलावा उसे जिला प्रशासन, खेतीबाड़ी विभाग, पंजाब प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड की तरफ से सम्मानित किया जा चुका है। किसान ने बताया कि इस प्रकार से खेती करने में उसके तेल, खाद, स्प्रे के खर्चों में काफी कमी आई। हैपीसीडर से बुवाई करने से पहले खेत में कलर की मात्रा अधिक थी। अब प्रत्येक वर्ष जैविक मादे की मात्रा बढ़ती जा रही है. जिससे फसल की अच्छी पैदावार मिल रही है।

किसान के मुताबिक उसके खेत में जैविक तरीके से सब्जी व फलों की पैदावार ली जा रही है। फसल के अवशेषों को जलाने से धरती की उपजाऊ शक्ति कम होती है। दूसरा पर्यावरण में प्रदूषण फैलता है जो कई प्रकार की बीमारियों को जन्म देता है। ऐसे में उसने रासायनिक खादों व कीटनाशक के नशे पर लगी धरती माता को जहर से मुक्त करने का लक्ष्य रखा। इसके लिए उसने खेतीबाड़ी विभाग से संपर्क साधा। मुख्य अफसर जसविदरपाल सिंह संगरूर ने किसानों से अपील की कि वह भी गुरिदर सिंह की तरह पराली को न जलाकर पर्यावरण की शुद्धता में अपना योगदान डालें।

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