भगवान की वाणी नष्ट करती है हर दुख व रोग : समर्थ महाराज
भगवान महावीर का ज्ञान सूर्य के प्रकाश की तरह है जो सभी पर एक जैसा पड़ता है।
जागरण संवाददाता, संगरूर
भगवान महावीर का ज्ञान सूर्य के प्रकाश की तरह है, जो सभी पर एक जैसा पड़ता है। जैन स्थानक मोहल्ले में चल रही धर्मसभा को संबोधित करते महासाध्वी समर्थ श्री महाराज ने फरमाया कि भगवान की वाणी सभी दुखों व रोगों को जलाकर नष्ट कर देती है।
महाराज ने कहा कि मनुष्य के मन को निर्मल बनाकर उसमें नाम का बीज बोती है। भगवान के लिए सभी एक समान हैं। किसी से कोई भेदभाव नहीं है। इसलिए वाणी को कान से सुनकर मन में प्रवेश करना चाहिए। गंभीरता व भावना से सुनी हुई वाणी ही मन में बिराजती है। उन्होंने कहा कि जो प्राणी इसे सुनकर जीवन में ढाल लेता है उसका कल्याण होता है। उन्होंने बताया कि आयमल की तपस्या लगातार चल रही है। महान आत्माओं की कथा सुनकर जीवन सफल हो रहा है। चल रही आयमल तपस्या में इस समय सभा के प्रधान विजय जैन व गायत्री मितल 65वें दिन में प्रवेश कर गए हैं। तुषार गोयल 22वें दिन में चले गए हैं। दीपा जैन पंद्रह दिनों से लगातार जल के सहारे तप कर रही हैं। चातुर्मास प्रारंभ से ही इकाश्ना तप की तपस्या में जीवन जैन 65वें दिन, अतुल गोयल 64वें दिन, डा. अतुल जैन 22वें, रजनी जैन 12वें दिन में प्रवेश कर गए हैं।
महासाध्वी ने बताया कि दो अक्टूबर को आयमल तप का महायज्ञ किया जाएगा। इसमें 108 भाई बहन सामूहिक तौर पर भगवान की आराधना करेंगे। सभी जैन परिवार अपनी आहुति डालेंगे। महासाध्वी ने अपील की कि इस महान यज्ञ में शिरकत कर अपने जीवन को सफल बनाएं।