गैस सिलेंडर महंगा, फिर चूल्हे जलाने को मजबूर हुए परिवार

उज्जवला योजना के तहत बेशक सरकार ने हर घर तक गैस सिलेंडर पहुंचाया ताकि गरीब परिवार की महिलाओं को चूल्हे व लकड़ी जलाने से छुटकारा मिल सके।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 22 Feb 2021 04:49 PM (IST) Updated:Mon, 22 Feb 2021 04:49 PM (IST)
गैस सिलेंडर महंगा, फिर चूल्हे जलाने को मजबूर हुए परिवार
गैस सिलेंडर महंगा, फिर चूल्हे जलाने को मजबूर हुए परिवार

जागरण संवाददाता, संगरूर

उज्जवला योजना के तहत बेशक सरकार ने हर घर तक गैस सिलेंडर पहुंचाया, ताकि गरीब परिवार की महिलाओं को चूल्हे व लकड़ी जलाने से छुटकारा मिल सके। कितु अब गैस सिलेंडर के आसमान छूते दामों के कारण न तो गरीब परिवार गैस सिलेंडर भरवा पा रहे हैं व न ही उन्हें लकड़ी व अन्य ईंधन जलाने से निजात मिली है। महंगे गैस सिलेंडर भरवाने से असमर्थ हुए परिवार अब फिर से लकड़ी से चूल्हे जलाने को मजबूर हो गए हैं, जिससे न केवल उनकी सेहत प्रभावित हो रही है, बल्कि पर्यावरण भी दूषित होता है। जिले में करीब सवा लाख परिवारों को उज्जवला योजना के तहत गैस सिलेंडर मिले थे, जिनमें से अधिकतर परिवारों के घरों पर अब गैस सिलेंडर शोपीस बन गए हैं, क्योंकि यह परिवार महंगे दाम पर गैस सिलेंडर भरवाने से असमर्थ हैं।

उल्लेखनीय है कि चूल्हों पर लकड़ी इत्यादि जलाने से पैदा होने वाला धुआं पर्यावरण को प्रदूषित करता है, जिससे निजात दिलाने व महिलाओं के सेहत के मद्देनजर केंद्र सरकार द्वारा उज्जवला योजना के तहत हर परिवार को गैस सिलेंडर मुहैया करवाए गए थे। जिले भर में गरीब परिवारों ने इस योजना का लाभ भी लिया व हर झुग्गी-झोपड़ी तक गैस सिलेंडर पहुंच गए। लाकडाऊन दौरान कामकाज न मिलने के कारण यहां गरीब परिवार सिलेंडर नहीं भरवाने से असमर्थ हो गए। लिहाजा महंगाई के इस दौर में जहां महिलाओं की सेहत लकड़ी के धुएं के कारण खराब हो रही है, वहीं पर्यावरण भी दूषित होता है। -----------------

महंगे दाम के कारण गैस सिलेंडर भरवाना असंभव

संगरूर की राम नगर बस्ती निवासी परसीना व परवीना ने बताया कि वह कबाड़ इकट्ठा करके दुकानों पर बेचकर घर का गुजारा करते हैं। तीन वर्ष पहले गैस सिलेंडर उज्जवला योजना के तहत मिला था। अब रेट आठ सौ रुपये तक पहुंच गया है। इतनी रकम गैस सिलेंडर पर खर्च करना उनके लिए संभव नहीं है। इस रकम से वह रसोई का राशन खरीदते हैं और अब पेड़ों की लकड़ी इकट्ठी करके उनसे अपने घरों का चूल्हा जलाते हैं। बरसात के दिनों में लकड़ी भी नहीं मिल पाती, जिससे रद्दी जलाकर दो वक्त की रोटी बनाकर पेट भरते हैं। महंगे गैस सिलेंडर उनके घर पर शो पीस बनकर रह गया है।

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गरीबों से सरकार कर रही मजाक शहर निवासी गोगा ने बताया कि सरकार ने उज्जवला योजना के साथ लोगों से धोखा किया है। पहले मुफ्त गैस सिलेंडर बांटे गए व अब गैस सिलेंडर का रेट आसमान छू रहा है। लोगों को अब गैस सिलेंडर महंगे दाम पर भरवाकर सरकार अपनी जेब भर रही है। वह मजदूरी करके घर का गुजारा चलाते हैं। गैस सिलेंडर पर 790 रुपये खर्च करना काफी मुश्किल है। कुछ माह उन्होंने गैस सिलेंडर भरवाया था, लेकिन अब पांच माह से गैस सिलेंडर नहीं भरवा पाए। सरकार ने अगर गैस सिलेंडर दिए हैं तो कम से कम इनकी कीमत भी कम करें, ताकि जरूरतमंद परिवारों को इसका लाभ मिल सके। --------------------

गैस सिलेंडर व लकड़ी महंगी, मिट्टी का तेल बंद शहर निवासी धर्मपाल सिंह व गिदरी रानी ने कहा कि गैस सिलेंडर का रेट 790 रुपये है। लकड़ी भी अब सात व आठ रुपये किलो हो गई है। मिट्टी का तेल अब मिलता ही नहीं है। ऐसे हालात में गरीब परिवारों के लिए अपने घरों पर खाना बनाना भी मुश्किल हो गया है। रोजाना सुबह सड़कों किनारे या अन्य जगहों पर पेड़ों की सूखी शाखाएं, रद्दी, फलों की खाली पेटियां, लकड़ी का फूस इत्यादि सस्ते में खरीदकर लाते हैं, जिससे घरों का चूल्हा जलाकर खाना बना रहे हैं। पहले गैस सिलेंडर पर सब्सिडी मिल जाती थी, लेकिन अब वह भी मात्र 15 रुपये रह गई है और सिलेंडर 790 रुपये का हो गया है।

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दो माह के दौरान कई बार बढ़े गैस सिलेंडर के रेट

गैस एजेंसी मालिक रविदर सिंह ने कहा कि गैस सिलेंडर के दाम पिछले दो माह के दौरान ही कई बार बढ़ गए हैं। दो माह दौरान करीब डेढ़ सौ रुपये कीमत बढ़ गई है। अब घरेलू सिलेंडर 790 रुपये व कमर्शियल 1566 रुपये का हो गया है। कई गरीब परिवार गैस सिलेंडर भरवाने से असमर्थ भी हैं, जो एजेंसी पर चक्कर भी लगाते हैं, लेकिन रेट अधिक होने के कारण गैस सिलेंडर नहीं भरवा पाते। वहीं छोटे चार किलो का गैस सिलेंडर इस्तेमाल करके भी परिवार अपना गुजारा चला रहे हैं।

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