संगरूर अस्पताल की डायलसिस मशीनों को ठीक करवाने केलिए राहगीरों से इकट्ठा किया फंड

सिविल अस्पताल संगरूर में पिछले समय के दौरान खराब पड़ी डायलसिस मशीनों के कारण मरीजों को प्राइवेट अस्पताल या सेंटरों से डायलसिस करवाने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 28 Oct 2021 06:28 AM (IST) Updated:Thu, 28 Oct 2021 06:28 AM (IST)
संगरूर अस्पताल की डायलसिस मशीनों को ठीक करवाने केलिए राहगीरों से इकट्ठा किया फंड
संगरूर अस्पताल की डायलसिस मशीनों को ठीक करवाने केलिए राहगीरों से इकट्ठा किया फंड

जागरण संवाददाता, संगरूर

सिविल अस्पताल संगरूर में पिछले समय के दौरान खराब पड़ी डायलसिस मशीनों के कारण मरीजों को प्राइवेट अस्पताल या सेंटरों से डायलसिस करवाने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। कहने को बेशक सिविल अस्पताल में चार डायलसिस मशीनें मौजूद हैं, लेकिन कुछ समय से मशीनें खराब पड़ी थीं। खराब पड़ी मशीनों की मरम्मत व मरीजों की सुविधा के लिए बुधवार को सिविल अस्पताल के समीप महावीर चौक में हेल्पिग हैंड्स फाउंडेशन के कार्यकर्ताओं ने राहगीरों से फंड इकट्ठा किया। वहीं सिविल अस्पताल प्रशासन ने भी आनन-फानन में डायलसिस मशीनें ठीक करवाकर चालू करने का दावा किया, जबकि सच्चाई यह भी है कि मशीनें दुरुस्त न होने के कारण मरीजों को कई दिनों से परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

उल्लेखनीय है कि सिविल अस्पताल संगरूर में चार के करीब डायलसिस मशीनें मौजूद हैं। इनमें से एक मशीन को काला पीलिया (एचसीवी) मरीजों के लिए रखा गया है व बाकी मशीनें अन्य मरीजों के लिए हैं। यह मशीनें पिछले काफी समय से खराब पड़ी होने के कारण मरीजों को डायलसिस करवाने के लिए निजी सेंटरों पर निर्भर होना पड़ रहा है। मरीज जहां एकतरफ अपनी बीमारी से परेशान हैं, वहीं दूसरी तरफ आर्थिक नुकसान झेल रहे हैं। गुर्दे व अन्य रोगों से पीड़ित कई मरीज हैं, जिन्हें सप्ताह में दो-तीन बार डायलसिस करवाना पड़ता है। ------------------------ बाहर के सेंटर से करवाना पड़ा डायलसिस स्थानीय प्रीतनगर के रहने वाले 52 वर्षीय जगजीत सिंह गुर्दे की बीमारी से पीड़ित है। स्वजनों ने बताया कि वह कई बार सिविल अस्पताल जा चुके हैं, लेकिन मशीनें खराब होने के कारण जगजीत सिंह का डायलसिस नहीं हो पाया। वह मजबूरन सुनाम के एक निजी सेंटर से डायलसिस करवाने को मजबूर हैं। सप्ताह में दो या तीन बार डायलसिस होता है, जिसकी फीस 1700 प्रति डायलसिस है। इसके अलावा एंबुलेंस का खर्च भी 1200 के करीब आता है। अगर शहर के सरकारी अस्पताल से यह सुविधा मिल जाए तो उनका काफी खर्च बच सकता है। इतना ही नहीं, अस्पताल में डायलसिस करवाने के लिए कई-कई दिन इंतजार करवाया जाता है, जबकि उन्हें तो मरीज का हर दूसरे दिन डायलसिस करवाना होता है। ----------------------- मशीन खराब होने की बात कहकर वापस भेजा

जगतार सिंह सकरोदी, राजा राम, गुरसेवक सिंह हरेड़ी ने कहा कि वह भी कई बार अस्पताल के चक्कर डायलसिस करवाने के लिए लगा चुके हैं। बार-बार मशीन खराब होने व कुछ दिन बाद आने की बात कहकर वापस भेज दिया जाता है। बाहर अधिक कीमत देकर डायलसिस करवाना पड़ता है, जिस कारण काफी परेशानी झेलनी पड़ती है। ---------------------- मशीनों को चालू करवाने के लिए इकट्ठा किया फंड:-

सिविल अस्पताल के समीप महावीर चौक में शहर के संगठनों के नुमाइंदों ने राहगीरों से सिविल अस्पताल की डायलेसिस मशीनों को चालू करवाने हेतु सेहत विभाग को फंड देने के लिए चंदा इकट्ठा किया। समाजसेवी सतिदर सैणी, अवतार सिंह तारा, यादविदर डाबरा, ओपी गर्ग, मनप्रीत सिंह नमोल, सतवीर मिश्रा, दलवीर सिंह डल्ली, धर्मपाल सिंह, जगजीत काला सहित अन्य व्यक्तियों ने कहा कि जिला स्तरीय सिविल अस्पताल में डायलसिस मशीनों का लाभ मरीजों को नहीं मिल पा रहा है, जिस कारण गंभीर बीमारियों से ग्रस्त मरीजों को डायलसिस के लिए अन्य शहरों में भटकना पड़ रहा है। जहां उनका मानसिक व आर्थिक शोषण भी हो रहा है। ----------------- चालू हैं मशीनें : सिविल सर्जन सिविल सर्जन डा. परमिदर कौर ने बताया कि दो मशीनें खराब थीं। एक मशीन काला पीलिया मरीजों के लिए हैं कितु अब इन मशीनों को ठीक करवा लिया गया है। अस्पताल में अब यह सुविधा जारी है। उधर, सिविल अस्पताल के कार्यकारिणी एसएमओ डा. विनोद कुमार का कहना है कि चारों डायलसिस मशीनें चालू हैं। पिछले सप्ताह दो मशीनें ठीक करवाई गई हैं। इन पर एक लाख साठ हजार रुपये खर्च आया है। जब उक्त संस्थआओं द्वारा फंड इकट्ठा किए जाने बाबत बात की गई तो उन्होंने कहा कि इसकी उन्हें कोई जानकारी नहीं।

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