खेती विभिन्नता ने बदली रमनदीप की किस्मत, खेती बनी फायदेमंद
तेजी से गिर रहे भूजल स्तर को रोकने के लिए पंजाब सरकार द्वारा किसानों को धान की कम पानी वाली फसल बुवाई करने को प्रेरित किया जाता है।
अजय जिदल, सुनाम ऊधम सिंह वाला (संगरूर) : तेजी से गिर रहे भूजल स्तर को रोकने के लिए पंजाब सरकार द्वारा किसानों को धान की कम पानी वाली फसल बुवाई करने को प्रेरित किया जाता है। इसमें मर्द खेड़ा तहसील सुनाम का प्रगतिशील किसान रमनदीप सिंह खेती विभिन्नता अपनाकर वर्ष में तीन फसलें प्राप्त कर दोगुनी आमदन भी कमा रहा है और साथ ही पर्यावरण की शुद्धता व भूजल स्तर को गिरने से बचाने में अहम योगदान डाल रहा है। रमनदीप खुद ही नहीं बल्कि अन्य किसानों को भी खेती विभिन्नता के लिए प्रेरित कर रहा है, ताकि एक ही समय में जमीन में अलग-अलग फसलें लगाकर उनसे मुनाफा कमाया जा सके।
सीधी बिजाई करके मिला अधिक झाड़
रमनदीप ने बताया कि उसका काम देखकर आसपास के गांव के अन्य किसान भी आकर्षित हो रहे हैं। सबसे पहले वह करीब 11.5 एकड़ जमीन में गेहूं व धान की खेती सहित 3.5 एकड़ में सब्जी व गन्ने की काश्त करता था। वह 2018 से कृषि विज्ञान केंद्र खेड़ी से जुड़ा हुआ है। विशेषज्ञों की मदद व सलाह से पहली बार धान की पराली न जलाकर हैपीसीडर की मदद से गेहूं बुआई की। पहले वर्ष हैपी सीडर वाली गेहूं की पैदावार ने उसे प्रभावित किया। गत वर्ष की गेहूं से उसका एक क्विंटल झाड़ अधिक निकला। उसने दूसरे किसानों को भी सीधी बुआई करने के लिए प्रेरित किया। उसका खर्चा रिवायती तरीके के मुकाबले प्रति एकड़ 1500 रुपये कम आता है।
आलू की काश्त को भी अपनाया
उसने वर्ष 2020 में पैप्सीको कंपनी से जुडकर कृषि विज्ञान केंद्र खेड़ी से हल लेकर सात एकड़ में आलू की खेती शुरू की। 2021 में अपनी पूरी जमीन पंद्रह एकड़ में आलू की बुआई की। पराली को बगैर जलाए खेत में दबा दिया। इससे खेत की मिट्टी में नौ इंच तक जैविक मादे में वृद्धि हुई। आलू के बाद उसने मक्की की बुवाई की। बाद में जुलाई में पंजाब खेतीबाड़ी यूनिवर्सिटी द्वारा प्रमाणित परमल धान की पीआर 126 किस्म की बुवाई की। इससे पानी की बेहद बचत हुई। इस प्रकार से खेती करने में उसके तेल, खाद, स्प्रे के खर्चों में भारी कमी आई। फसल की अच्छी पैदावार मिल रही है।
पराली के प्रबंधन पर ध्यान दें किसान
मुख्य खेतीबाड़ी अफसर संगरूर मनदीप सिंह ने किसान की प्रशंसा करते हुए दूसरे किसानों को भी खेतीबाड़ी विभाग से मदद लेकर खेती लागत कम करने की सलाह दी। फसल के अवशेषों को जलाने से धरती की उपज शक्ति कम होती है। रासायनिक खाद व कीटनाशक से धरती में जहर घुलता है। मनुष्य की सेहत पर बुरा असर पड़ता है।