प्रबंधकीय कांप्लेक्स में धरने पर बैठे किसान, कर्मचारी नहीं जा पाए अंदर

संगरूर कई घंटे मुलाजिम करते रहे गेट खुलने का इंतजार नहीं खुले तो वापस लौटे। - डीसी दफ्तर मे

By JagranEdited By: Publish:Fri, 23 Oct 2020 06:34 PM (IST) Updated:Sat, 24 Oct 2020 05:04 AM (IST)
प्रबंधकीय कांप्लेक्स में धरने पर बैठे किसान, कर्मचारी नहीं जा पाए अंदर
प्रबंधकीय कांप्लेक्स में धरने पर बैठे किसान, कर्मचारी नहीं जा पाए अंदर

जागरण संवाददाता, संगरूर : धरने के दौरान मरे किसान के परिवार को मुआवजा व परिवार के एक सदस्य को नौकरी दिलाने के लिए डीसी दफ्तर के बाहर धरने पर बैठे किसानों के चलते कोई अंदर नहीं जा पाया। किसान शुक्रवार को सुबह ही जिला प्रबंधकीय कांप्लेक्स के तीनों गेटों पर धरना लगाकर घेराव आरंभ किया। जिसके चलते डीसी रामवीर सिंह, एडीसी अनमोल सिंह, एसडीएम बबनदीप सिंह, डीटीए करणवीर सिंह छीना समेत कोई भी अधिकारी या मुलाजिम अंदर नहीं जा पाए। सुबह अपनी ड्यूटी पर पहुंचे मुलाजिमों को दफ्तरों में दाखिल नहीं होने दिया गया, जबकि सुबह नौ बजे से पहले दाखिल हो गए मुलाजिमों को भी मुनादी करवाकर बाहर निकल जाने की चेतावनी दी। इस कारण दफ्तर के भीतर मौजूद मुलाजिम भी बाहर निकल गए, जिसके बाद किसानों ने सभी गेट बंद कर दिए। मुलाजिम कई घंटे तक कांप्लेक्स के गेट खुलने का इंतजार करते रहे, लेकिन किसानों के आगे किसी की एक न चली। मुलाजिम दोपहर तक क्लब रोड, रेस्ट हाउस, बस स्टैंड सहित अन्य जगहों पर बैठे रहे।

गौर हो कि प्रबंधकीय कांप्लेक्स में डीसी दफ्तर, तहसील दफ्तर, एसडीएम दफ्तर, डीटीए दफ्तर, सिविल सर्जन दफ्तर, डीएसपी दफ्तर, सेवा केंद्र, स्टेट बैंक आफ इंडिया की शाखा मौजूद हैं, लेकिन शुक्रवार को कहीं पर कोई मुलाजिम नहीं पहुंच पाया व न ही लोगों को अपने कामकाज के लिए अंदर जाने दिया गया। इस कारण लोगों के कामकाज व दफ्तरी काम सोमवार तक बाधित हो गया, क्योंकि शनिवार व रविवार को छुट्टी कारण दफ्तर बंद रहेंगे। घेराव की सूचना मिलने के कारण डीसी सहित उच्चाधिकारी जहां पहले ही दफ्तर नहीं पहुंचे, वहीं मुलाजिमों को कई घंटे परेशानी के दौर से गुजरना पड़ा। बाहरी शहरों से ड्यूटी पर लौटे मुलाजिम भी वापस लौट गए।

भारतीय किसान यूनियन एकता उगराहां ने जिला प्रबंधकीय कांप्लेक्स का मुकम्मल तौर पर घेराव किया गया। जिला प्रधान अमरीक सिंह गंढूआं व प्रांतीय कार्यकारी प्रधान जसविदर सिंह ने कहा कि संघर्ष में जत्थेबंदी के कई सदस्यों की मौत हुई है। उनकी कुर्बानी जाया नहीं जाएगी। उन्होंने मृतक किसान के परिवार को दस लाख रुपये का मुआवजा, एक सदस्य को सरकारी नौकरी, सरकारी व गैर सरकारी कर्ज माफी करने की मांग की। किसानों ने आरोप लगाया कि संगरूर डीसी का रवैया किसानों के विपरीत है, क्योंकि परिवार के लिए मांगी गई मांगें पहले लागू हो चुकी हैं। लेकिन डीसी उन्हें अनदेखा कर रहा है।

उधर, किसानों ने भाजपा के राष्ट्रीय प्रधान जेपी नड्डा ने ब्यान की कि संघर्ष कर रहे किसान किसी के पीछे लगकर बयान दे रहे हैं पर उन्होंने कहा कि समय की सरकार किसानी संघर्ष को दबाना चाहती है, लेकिन सरकार की चालों को किसी कीमत पर सफल नहीं होने दिया जाएगा। इस मौके जिला महासचिव दरबारा सिंह, जगरूप सिंह, कृपाल सिंह धूरी, जसवंत सिंह तोलावाल, दर्शन सिंह, गोबिदर सिंह मंगवाल, हरबंस सिंह, सरवजीत सिंह, मनजीत सिंह घराचों आदि उपस्थित थे। सरकार तक पहुंचाई मांग, दफ्तर के घेराव गलत

डीसी रामवीर से बात करने पर उन्होंने कहा कि मृतक किसान के परिवार को मुआवजा व नौकरी देने का अधिकार सरकार द्वारा लिया जाना है। प्रशासन इसमें अपने स्तर पर कोई फैसला नहीं ले सकता। किसान संगठनों द्वारा आज प्रबंधकीय कांप्लेक्स के सभी गेटों को बंद करके अधिकारियों व समूह मुलाजिमों को परेशान किया है, जो कतई नहीं होना चाहिए। प्रशासन किसानों का हर प्रकार से सहयोग देने को तैयार है। मुआवजे व नौकरी की मांग का मसला सरकार तक पहुंचा दिया गया है। सरकार का फैसला आने पर ही अगली कार्रवाई होगी।

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