पराली संभालने व गेहूं की नई किस्मों के प्रति जागरूक किया

पंजाब खेतीबाड़ी यूनिवर्सिटी के कृषि विज्ञान केंद्र खेड़ी द्वारा धान की पराली संभालने व गेहूं की नई किस्मों के बीज संबंधी जानकारी देने हेतु गांव जलूर में एकदिवसीय सिखलाई कैंप लगाया गया। इसमें 50 के करीब किसानों ने भाग लिया।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 26 Oct 2021 04:40 PM (IST) Updated:Tue, 26 Oct 2021 04:40 PM (IST)
पराली संभालने व गेहूं की नई किस्मों के प्रति जागरूक किया
पराली संभालने व गेहूं की नई किस्मों के प्रति जागरूक किया

जागरण संवादताता, संगरूर

पंजाब खेतीबाड़ी यूनिवर्सिटी के कृषि विज्ञान केंद्र खेड़ी द्वारा धान की पराली संभालने व गेहूं की नई किस्मों के बीज संबंधी जानकारी देने हेतु गांव जलूर में एकदिवसीय सिखलाई कैंप लगाया गया। इसमें 50 के करीब किसानों ने भाग लिया।

सहयोगी निदेशक सिखलाई डा. मनदीप सिंह ने कहा कि पराली जलाने से जमीन, हवा, पानी व मनुष्य की सेहत पर बुरा असर पड़ता है। इससे पैदावार कम होती है। इसलिए इसे जलाने से परहेज करना चाहिए। उन्होंने किसानों को गेहूं की नई किस्में पीबीडब्ल्यू 824, पीबीडब्ल्यू 766 सुनहरी के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि पीबीडब्ल्यू 824 का औसत झाड़ 23.3 क्विटल प्रति एकड़ है। यह 156 दिनों में पक जाती है। इसी प्रकार पीबीडब्ल्यू 766 सुनहरी का औसत झाड़ 23.1 क्विटल प्रति एकड़ व 155 दिनों में पककर तैयार होती है। इसका बीज कृषि विज्ञान केंद्र खेड़ी से मिलता है।

सहायक प्रोफेसर खेतीबाड़ी इंजीनियर डा. सुनील कुमार ने किसानेां को स्मार्ट सीडर, सुपर सीडर, हैपीसीडर, मलचर, चौपर आदि पर जानकारी दी। डा. अशोक कुमार सहायक प्रोफेसर ने गेहूं में जीवाणु और रासायणिक खाद संबंधी बताया। रबी 2021-22 की किताबें और जीवाणु खाद की प्रदर्शनी लगाई गई। इस मौके गुरप्रीत सिंह झलूर, पंचायत सदस्य दर्शन सिंह, मनदीप सिंह व गुरदीप सिंह मौजूद थे।

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