बंद नहीं होगा अकाल डिग्री कॉलेज, समय के साथ बदल रहे कोर्स: सीबिया
संगरूर शहर के अकाल डिग्री कॉलेज फार वूमैन के खिलाफ कुछ समय बंद होने की अफवाह थी।
जागरण संवाददाता, संगरूर :
शहर के अकाल डिग्री कॉलेज फार वूमैन के खिलाफ कुछ समय से सोशल मीडिया पर झूठा प्रचार किया जा रहा है, जो कि कॉलेज को फेल करने की एक सोची समझी साजिश है। कॉलेज के गवर्निंग कौंसिल के चेयरमैन करणवीर सिंह सीबिया ने बताया कि उनके पिता गुरबख्श सिंह सीबिया द्वारा कॉलेज स्थापित किया था। समय के साथ लड़कियों को शिक्षा दिलाने में मालवा क्षेत्र की संस्था बनकर उभरा है। 1970 में 50 छात्रों से शुरु हुए कॉलेज में किसी समय एक हजार से अधिक छात्र दाखिला व छह हजार से अधिक बच्चियां होस्टल में रहती थी, लेकिन शिक्षा के क्षेत्र में कई बड़ी संस्थाएं खुलने व गैर उपयोगी कोर्स चलने की वजह से कॉलेज की आर्टस स्टीम में केवल 289 छात्राओं का दाखिला है। होस्टल में केवल 23 के करीब छात्राएं रहती है। उन्होंने बताया कि किसी कॉलेज को चलाने के लिए एंट्री प्वाइंट पर 400 बच्चों का दाखिला होना जरूरी है। साथ ही तीन वर्षों के लिए डिग्री कोर्स में कम से कम 600 बच्चे दाखिल होने चाहिए। तभी उनकी फीस से कॉलेज के स्टाफ को वेतन व अन्य खर्चे पूरे होते हैं। ऐसे में मैनेजमेंट द्वारा अनुउपयोगी कोर्स के बजाय नए रोजगार प्रमुख कोर्स शुरु करने का फैसला किया है। ताकि ग्रामीण, दलित व आर्थिक तौर पर कमजोर लड़कियां यह कोर्स कर रोजगार प्राप्त कर सके। क्योंकि दलित व गरीब लड़कियों को शहरों में जाकर महंगे कोर्स में दाखिला लेना असंभव है। उन्होंने बताया कि कॉलेज के अध्यापन तथा गैर शैक्षणिक स्टाफ की 24 पोस्टें 95 प्रतिशत ग्रांट के तहत मंजूर थी, लेकिन अब केवल दो पोस्टों की ही 95 प्रतिशत ग्रांट मिलती है। बाकी स्टाफ को वेतन कॉलेज की मैनेमेंट द्वारा अपने स्त्रोतों से समय पर उनके खाते में डाल दी जाती हैं।
बता दें कि कॉलेज मैनेजमेंट से 2020 तक सेवामुक्त हो चुके स्टाफ को दो करोड़ रूपये से अधिक की रकम बतौर ग्रेच्युटी व लीवइनकैशमेट अदा कर चुकी है। उन्होंने बताया कि सांसद सुखदेव सिंह ढींडसा व भगवंत मान ने कभी एक पैसा ग्रांट भी कॉलेज को नहीं दी। पंजाब सरकार की ओर से वर्ष 2016 से 2020 तक कॉलेज की फीस की एक करोड़ रुपये से अधिक रकम अभी तक नहीं मिली। मौजूदा समय में कॉलेज 91 लाख रुपये से अधिक घाटे के अधीन है। यह घाटा लगातार बढ़ता जा रहा है। ऐसे में कॉलेज के कोर्सों की रीस्ट्रक्चरिंग करना जरूरी है, क्योंकि 50 वर्ष पुराने कोर्सों की आज के समय में अहमियत खत्म हो चुकी है। उन्होंने बताया कि कॉलेज कैंपस में अकाल कॉलेजिए स्कूल वर्ष 2005 से चल रहा है। जो नौंवी कक्षा से 12वीं कक्षा तक पंजाब स्कूल शिक्षा बोर्ड से मान्यता प्राप्त है।