छह दशक बीते, आज भी बैलों से खेती कर रहे दो सगे भाई..

हट हट हट (चलते रहो) की आवाज आज भी गोबिदपुरा गांव के बीच में कर रहे कृषि कार्य।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 18 Jun 2021 07:30 AM (IST) Updated:Fri, 18 Jun 2021 07:30 AM (IST)
छह दशक बीते, आज भी बैलों से खेती कर रहे दो सगे भाई..
छह दशक बीते, आज भी बैलों से खेती कर रहे दो सगे भाई..

सतपाल सिंह, शेरपुर (संगरूर)

हट, हट, हट (चलते रहो) की आवाज आज भी गोबिदपुरा गांव के खेतों में सुनने को मिलती हैं। यहां खेत की जुताई के समय न ट्रैक्टर का धुआं उड़ता है और न ही ट्रैक्टर पर चलने वाले गीतों के सुर सुनाई देते हैं, बल्कि यहां सुरजीत सिंह व महेंद्र सिंह के मुंह से अपने दो बैलों को हट, हट की आवाज से चलाया जाता है। भरी जवानी के दौर में यह दो भाई बैलों से खेती करने में जुटे थे और आज बेशक चेहरे पर झुर्रियां पड़ गईं, आंखें भी चेहरे में धंस गई हैं, लेकिन इनके हाथों में आज भी अपने बैलों की लगाम है।

आज के अत्याधुनिक जमाने में जहां खेती के कार्य में मशीनरी का दौर लगातार बढ़ रहा है, वहीं संगरूर जिले के गांव खेड़ी कलां के दो बुजुर्ग भाई गांव गोबिदपुरा के खेतों में दो बैलों की मदद से ही खेती कर रहे हैं। दोनों भाइयों की मेहनत की मिसाल आज भी पूरा गांव देता है। कमाई का कोई अन्य साधन न होने के कारण दोनों भाई खेती पर ही निर्भर हैं।

77 वर्षीय महिदर सिंह व 75 वर्षीय सुरजीत सिंह पिछले साठ वर्षों से पुराने जमाने की तरह बैलों से खेती कर रहे हैं। गांव खेडी कलां के रहने वाले दोनों सगे भाई आधुनिक खेती यंत्र से दूर छह दशक से बैलों के जरिए खेती कर रहे हैं। ------------------- दोनों भाई कुंवारें, भाभी के पास रह रहे

सुरजीत सिंह व महिदर सिंह ने बताया कि उनके पास खुद की जमीन नहीं है। वह गांव गोबिदपुरा में सरदार नरिदर सिंह अत्री की जमीन ठेके पर लेकर खेती कर रहे हैं। पहले वह कपास व मूंगफली की खेती करते थे, लेकिन सही दाम न मिलने से अब वह गेहूं व धान की खेती करते हैं। पिछले वर्ष उनकी गेहूं की फसल जल गई थी, जिसका सरकार ने अभी तक उन्हें मुआवजा नहीं दिया। उनके पास कमाई का यही साधन है। दोनों भाई कुवारें हैं व अपनी भाभी के पास ही रहते हैं व तीनों मिलकर इस खेती से होने वाली कमाई से अपना जीवन गुजार रहे हैं। ---------------------

गांव की पंचायत करती है मदद

गांव के सरपंच गुरशरन सिंह ने बताया कि उक्त दोनों बुजुर्ग अपने एक अन्य बड़े भाई के साथ ही रहते थे। भाई की मौत के बाद भाभी के साथ ही यह दोनों रहते हैं। कभी कभार गांव के अन्य किसान या पंचायत सदस्य इनकी मदद खेती में कर देते हैं। सरदार परिवार द्वारा इन दोनों भाईयों की पूरी मदद की जाती है, जिससे इनके परिवार का गुजारा चल रहा है।

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दोनों भाइयों को सम्मानित करने की उठी मांग

गांव के पूर्व सरपंच हरपाल सिंह, शिअद अमृतसर के जिला महासचिव नरिदर सिंह कालाबुला, एनआरआई क्लब शेरपुर के नेता इंस्पेक्टर रणजीत सिंह बैहणीवाल ने सरकार व खेतीबाड़ी विभाग से दोनों किसानों भाइयों को सम्मानित करने की मांग की है। शिरोमणि कमेटी की हलका धूरी से एसजीपीसी सदस्य शरणजीत कौर किला हकीमां ने दोनों किसानों द्वारा पुरानी विरासत संभालने के बदले में सम्मानित करवाने की हिमायत की। उन्होंने कहा कि जल्द शिरोमणि कमेटी को सिफारिश की जाएगी कि इन्हें सम्मानित किया जाए व इनकी मदद की जाए।

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