धान की सीधी बिजाई ने पकड़ी रफ्तार, हाथों से रोपाई भी हआरंभ

भूजल के गिरते स्तर को रोकने के लिए पंजाब सरकार द्वारा किसानों को धान की रोपाई करने के लिए दस जून की तारीख तय की गई है जबकि खेतीबाड़ी माहिरों द्वारा धान की सीधी बिजाई एक जून से करवाना शुरू कर दिया है।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 07 Jun 2021 03:38 PM (IST) Updated:Mon, 07 Jun 2021 03:38 PM (IST)
धान की सीधी बिजाई ने पकड़ी रफ्तार, हाथों से रोपाई भी हआरंभ
धान की सीधी बिजाई ने पकड़ी रफ्तार, हाथों से रोपाई भी हआरंभ

नवदीप सिंह, संगरूर

भूजल के गिरते स्तर को रोकने के लिए पंजाब सरकार द्वारा किसानों को धान की रोपाई करने के लिए दस जून की तारीख तय की गई है, जबकि खेतीबाड़ी माहिरों द्वारा धान की सीधी बिजाई एक जून से करवाना शुरू कर दिया है।

जिले में इस बार 58 हजार हैक्टेयर रकबा में सीधी बिजाई करने का लक्ष्य रखा गया है। अब तक 1250 एकड़ रकबे में सीधी बिजाई हो गई है। गत सप्ताह हुई बरसात से धान लगाने की प्रक्रिया में तेजी आ गई है। सीधी बिजाई के अलावा किसान दस जून से पहले ही प्रवासी मजदूरों से धान लगाने में जुट गए हैं। गर्मी का प्रकोप भी लगातार बढ़ रहा है, जिसके चलते किसान जल्दी से धान की लगवाई का काम निपटाना चाहते हैं। 15 जून तक धान की सीधी बिजाई का लक्ष्य प्राप्त कर लिया जाएगा।

पिछले वर्ष लाकडाउन के चलते किसानों को बाहरी मजदूर न मिलने पर ग्रामीण मजदूरों की चांदी रही। उन्होंने धान लगाने के लिए प्रति एकड़ तीन से चार हजार रुपये लिए थे। इस बार वैसे तो पूरा रेट नहीं खुला है, लेकिन अंदाजन साढ़े तीन हजार से चार हजार रुपये प्रति एकड़ रेट मजदूरों द्वारा मांगा जा रहा है। सीधी बिजाई की बात करें तो प्रति एकड़ खर्चा कम आता है। इससे किसानों की लेबर, डीजल, पानी व खाद की बचत होती है। लेकिन यह तकनीक रेतीले व हलके खेतों में कारगार नहीं है। इसके लिए अच्छी जल भराव वाली चिकनी मिट्टी की जरूरत होती है। इसलिए पूरे खेत में इस तकनीक से धान लगाना संभव नहीं है। -------------------------

खेतों के लिए दस घंटे बिजली की मांग पावरकाम विभाग द्वारा प्रत्येक वर्ष खेतों के लिए दस जून से आठ घंटे बिजली सप्लाई दी जाती है, लेकिन इस बार तेज आंधी व बारिश के चलते बिजली के खंबे गिरने से पूरी सप्लाई खेतों को नहीं मिल पा रही। जहां कहीं आंधी से अधिक नुकसान नहीं हुआ, वहां कभी-कभी पांच से सात घंटे सप्लाई दी जा रही है। किसानों की मांग है कि खेतों के लिए बगैर कट लगाए दस घंटे निर्विघ्न बिजली सप्लाई दी जाए। -------------------------

40 फीसद ही पहुंचा अभी जिले में यूरिया धान का सीजन शुरू होते ही यूरिया की किल्लत आम देखने को मिलती है। गत दिनों संगरूर रेलवे स्टेशन पर यूरिया से भरी मालगाड़ी आई थी। जब ट्रकों के जरिए यूरिया उतारा जा रहा था तो किसानों ने ट्रकों को आगे जाने से रोककर पहले बरनाला जिले के लिए यूरिया का कोटा पूरा करने की मांग की थी। इससे पता चलता है कि गांव की सोसायटियों में यूरिया की कमी है।

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जिले में करीब 75 हजार मीट्रिक टन यूरिया की जरूरत है। अब तक 36 हजार मीट्रिक टन यूरिया मिल गया है। अगले दिनों में और यूरिया आ जाएगा। --जसविदरपाल सिंह ग्रेवाल, जिला मुख्य खेतीबाड़ी अफसर

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