उलझी 110 करोड़ के एसटीपी प्रोजेक्ट की जांच
संगरूर तारीख पर तारीख और समाधान बेहद दूर है। 110 करोड़ रुपये के काम का मामला।
जागरण संवाददाता, संगरूर :
तारीख पर तारीख, और समाधान बेहद दूर है। 110 करोड़ रुपये के एसटीपी की जांच कुछ इसी ट्रैक पर चल रही है। 18 माह में बेशक एसटीपी का कार्य संपन्न होना था, लेकिन चार वर्ष बाद भी प्रोजेक्ट जहां अधर में लटका है, वहीं अब आरंभ हुई जांच भी सुस्त है। सीवरेज बोर्ड व संबंधित कंपनी जांच के लिए रखी जाने वाली तारीख में शामिल होने से इस कदर कतराते हैं कि तारीख फिर आगे बढ़ा दी जाती है। प्रोजेक्ट के कार्य में परत दर परत सामने आ रही खामियां सीवरेज बोर्ड व संबंधित कंपनी की लापरवाही को उजागर कर रही हैं, लेकिन लंबी खिंचती चली जा रही जांच पर भी सवाल उठ रहे हैं। शहर निवासी जहां एक तरफ पर्याप्त सीवरेज सुविधा, पीने के पानी, पक्की गलियों को तरस रहे हैं, वहीं जांच के देरी कंपनी को अपनी कमियां छुपाने का समय दे रही है।
उल्लेखनीय है कि संगरूर शहर के लिए नवंबर 2016 में आरंभ हुआ 110 करोड़ रुपये की लागत का सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट प्रोजेक्ट के चार वर्ष बाद भी न तो अभी तक शत फीसदी कार्य संपन्न हो पाया है तथा न ही शहर निवासियों को प्रोजेक्ट अधीन मिलने वाली सुविधाएं मिल पाई है। संबंधित कंपनी द्वारा प्रोजेक्ट के एग्रीमेंट की पालना में भी कोताही बरती गई। लोग आज भी ओवरफ्लो सीवरेज, दूषित पेयजल सप्लाई की समस्याओं का सामना करने को मजबूर हैं। बेशक उक्त प्रोजेक्ट के तहत सीवरेज की सफाई व ओवरफ्लो की समस्या को निर्धारित समय के बीच हल किया जाना था, लेकिन इन समस्याओं को समय पर हल नहीं किया गया। इसके चलते शहर निवासी व भाजपा कार्यकर्ता जतिदर कालड़ा ने मुख्यमंत्री पंजाब को इस संबंधी शिकायत की। शिकायत जांच के लिए डीसी संगरूर के जरिये सहायक कमिश्नर (शिकायतें) के पास पहुंची।
छह तारीख मिलने के बाद भी परिणाम शुन्य
जांच के दौरान विभिन्न दिनों की छह बार तारीख तय हो चुकी हैं, लेकिन अभी तक जांच अधर में ही है। प्रोजेक्ट के निर्धारित समय पर कार्य संपन्न करने से वचनबद्धता का दावा करने वाली कंपनी द्वारा जांच दौरान भी कार्य को जल्द संपन्न करने के लिए समय प्राप्त कर लिया जाता है, जबकि नियम अनुसार कार्य में देरी होने के लिए कंपनी को जिम्मेदार ठहराते हुए कार्रवाई की जानी चाहिए, लेकिन समय देकर प्रोजेक्ट का निपटाने व शिकायत में उठाए गए मुद्दों को नाकाम करने की कोशिश दिखाई दे रही है। पोल लगाने से लेकर अन्य कामों के लिए ले रहे समय
कंपनी ने शहर में स्ट्रीट लाइटें लगाने के लिए दिसंबर तक के समय की मांग कर ली है, जबकि लाइटों के यह पोल प्रोजेक्ट की 18 माह के निर्धारित समय के बीच ही लग जाने चाहिए थे। जांच आरंभ होने पहले एक हजार पोल में से मात्र 250 पोल लगे थे, जबकि कुछ ही दिन मे 450 पोल लगाए जाने का वादा कंपनी अधिकारियों ने बैठक दौरान किया। इसी प्रकार गलियों के निर्माण के लिए भी समय लेकर कार्य निपटाया जा रहा है। रिकार्ड पेश करने में सुस्त सीवरेज बोर्ड व कंपनी
एसटीपी प्रोजेक्ट संबंधी शिकायत की चल रही जांच दौरान बेशक सीवरेज बोर्ड व संबंधित कंपनी से अब तक आई सीवरेज की शिकायतों व उनके हल का रिकार्ड, पेमेंट का रिकार्ड, प्रोजेक्ट अधीन रखी जाने वाली मशीनरियों की लॉग बुक सहित अन्य रिकार्ड पेश करने की हिदायत दी गई थी, लेकिन सीवरेज बोर्ड व संबंधित कंपनी पूरा रिकार्ड पेश करने में भी ढीला रवैये अपना रहे हैं। इस कारण न केवल जांच प्रभावित हो रहा है, बल्कि असल तथ्य भी सामने नहीं आ रहे हैं। जांच का निपटारा करके बनती कार्रवाई जल्द हो : कालड़ा
शिकायतकर्ता जतिदर कालड़ा ने मांग की कि उनकी तरफ से की गई शिकायतों की जांच के दौरान सीवरेज बोर्ड व संबंधित कंपनी की लापरवाही खुलकर सामने आई है। जांच आगे बढ़ रही है, लेकिन इसे जल्द निपटारा जाना चाहिए तथा लापरवाही बरतने वाले सीवरेज बोर्ड के अधिकारियों व कंपनी के नुमाइंदों पर बनती कार्रवाई की जानी चाहिए और एसटीपी प्रोजेक्ट पूरी पारदर्शिता से संपन्न किया जाए, ताकि शहर निवासियों को इस प्रोजेक्ट का बनता फायदा मिल सके और शहर की नुहार सुधरे।