पालीथिन पर रोक लगाने मे नगर कौंसिल नाकाम, स्वच्छता में बड़ा अड़ंगा

स्वच्छता रैंकिंग 2021 में संगरूर ने 19वां रैंक हासिल किया है जबकि जिले की मूनक नगर पंचायत नार्थ जोन में पहले स्थान पर रही है।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 27 Nov 2021 06:44 AM (IST) Updated:Sat, 27 Nov 2021 06:44 AM (IST)
पालीथिन पर रोक लगाने मे नगर कौंसिल नाकाम, स्वच्छता में बड़ा अड़ंगा
पालीथिन पर रोक लगाने मे नगर कौंसिल नाकाम, स्वच्छता में बड़ा अड़ंगा

जागरण संवाददाता, संगरूर : स्वच्छता रैंकिंग 2021 में संगरूर ने 19वां रैंक हासिल किया है, जबकि जिले की मूनक नगर पंचायत नार्थ जोन में पहले स्थान पर रही है। इस अभियान में इंदौर पहले स्थान पर रहा है। इसकी खास बात यह भी है कि यहां पर प्लास्टिक के लिफाफे व सिगल यूज प्लास्टिक पूरी तरह से बंद है। जबकि संगरूर की बात करें तो यहां प्लास्टिक लिफाफों का बेरोकटोक इस्तेमाल हो रहा है, जिस कारण यह न केवल गंदगी को बढ़ावा दे रहे हैं, बल्कि पर्यावरण के लिए भी बेहद खतरनाक बनते जा रहे हैं। सफाई व्यवस्था व सीवरेज सिस्टम को यह पालीथिन के लिफाफे व प्लास्टिक ठप कर रही है। स्वच्छता अभियान के रैंकिग में पिछड़ने का यह भी एक मुख्य कारण है, जिसके प्रति न तो नगर कौंसिल गंभीर है तथा न ही आम लोग इसके इस्तेमाल से गुरेज कर रहे हैं। लिहाजा पालीथिन लिफाफों से निपटने में नगर कौंसिल भी हांफ रही है, क्योंकि चाह तक भी लोगों को इसके इस्तेमाल से रोक नहीं पा रहे हैं।

संगरूर इलाके में पालीथिन लिफाफों व सिगल यूज प्लास्टिक का सरेआम इस्तेमाल हो रहा है। नगर कौंसिल व प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड चाह तक भी इसे रोक नहीं पा रहे हैं। बेशक कभी कभार नगर कौंसिल की टीम शहर के बाजारों में रेहड़ी व दुकानों से पालीथिन के लिफाफे जब्त करती है, लेकिन यह केवल खानापूर्ति तक ही सीमित है, क्योंकि पक्के तौर पर पालीथिन लिफाफों व सिगल यूज प्लास्टिक को बंद करने में नगर कौंसिल नाकाम है। नगर कौंसिल व प्रदूषण बोर्ड दोनों पालीथिन लिफाफों व सिगल यूज प्लास्टिक निर्विघ्न इस्तेमाल के लिए एक दूसरे को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं, लेकिन दोनों विभागों का यह रवैये पर्यावरण व स्वच्छता के लिए खतरा है। नतीजा यह है कि शहर में धड़ल्ले से पालीथिन लिफाफों का इस्तेमाल भी हो रहा है व जोरशोर से बेचे भी जा रहे हैं। ढीली कारगुजारी के कारण व्यापारियों व इस्तेमाल करने वालों के हौंसले बुलंद हो रहे हैं। कूड़ा प्रबंधन में बड़ा अड़ंगा हैं लिफाफे

लोगों के घरों से कूड़ा इकट्ठा किया जाता है, जिसमें अधिकतर तौर पर पालीथिन लिफाफे शामिल होते हैं। जिसकी वजह यह है कि अधिकतर लोग लिफाफों में ही कूड़ा इकट्ठा करते हैं व इसके बाद इन्हें कूड़े में फेंक देते हैं। अधिकतर वस्तुओं की पैकिग में भी इन लिफाफों का ही इस्तेमाल होता है, जिस कारण इनकी मात्रा बढ़ रही है। सफाई सेवक भी इस कूड़े व लिफाफों को इकट्ठा करके गंदगी के डंप पर पहुंचा देते हैं, जहां से कूड़े में से प्लास्टिक लिफाफे अलग करना संभव नहीं है। इस कारण कूड़ा ज्यों का त्यों ही मुख्य डंप पर पहुंचा दिया जात है। इस कारण पालीथिन का निपटारा नहीं हो पाता है और गंदगी के साथ ही पालीथिन के लिफाफे परेशानी का सबब बन रहे हैं। कैबिनेट मंत्री ने चलाई थी मुहिम, हुई ठप

कैबिनेट मंत्री विजयइंद्र सिगला ने भी शहर निवासियों को जागरूक करने की खातिर पालीथिन मुक्त शहर मुहिम का आगाज किया था। खुद मंत्री ने शहर की सड़कों से पालीथिन लिफाफे, प्लास्टिक उठाकर लोगों को संदेश दिया था कि पालीथिन लिफाफों का इस्तेमाल न करें व पालीथिन को एक अलग तौर पर इकट्ठा करें, ताकि शहर को पालीथिन से मुक्त किया जा सके। लेकिन यह मुहिम भी एक रैली निकाले जाने के बाद ही ठप हो गई। इसके बाद न तो प्रशासन या नगर कौंसिल ने इस मुहिम को आगे बढ़ाने का प्रयास किया तथा न ही शहर निवासियों ने इस पर गंभीरता दिखाई, जिस कारण लिहाजा आज भी शहर में धड़ल्ले से प्लास्टिक का इस्तेमाल हो रहा है। सीवरेज व्यवस्था व नालों में निकाली हो रही प्रभावित

शहर के गंदे नालों की सफाई व बरसात के दौरान पानी की निकासी में यह लिफाफे बड़ी रुकावट बन रहे हैं, क्योंकि नाले इन लिफाफों से भरे हुए हैं। प्लास्टिक लिफाफों के कारण पानी की निकासी नहीं हो पाती है। नालों की सफाई के दौरान अधिकतर तौर पर लिफाफे ही निकलते हैं। बरसात के पानी की निकासी के दौरान भी लिफाफे नालों में फंसकर निकासी को ठप कर देते हैं, इस कारण सीवरेज व्यवस्था भी ठप पड़ जाती है।

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नगर कौंसिल अधिकारियों, व्यापारियों व एनजीओ के प्रतिनिधियों से बैठक करके जल्द ही शहर को प्लास्टिक मुक्त बनाने के लिए रणनीति बनाई जाएगी। लोग अगर साथ दें तो शहर को प्लास्टिक मुक्त बनाया जा सकता है। इस पर जल्द ही विचार किया जाएगा।

-राकेश कुमार, कार्यसाधक अफसर, नगर कौंसिल, संगरूर।

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