बासमती की रोपाई का कार्य अंतिम छोर पर, किसानों को मौसम से उम्मीदें

जिला संगरूर में बासमती चावल की रोपाई के साथ धान रोपण का सीजन समाप्त होने की कगार पर है।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 29 Jul 2021 04:28 PM (IST) Updated:Thu, 29 Jul 2021 04:28 PM (IST)
बासमती की रोपाई का कार्य अंतिम छोर पर, किसानों को मौसम से उम्मीदें
बासमती की रोपाई का कार्य अंतिम छोर पर, किसानों को मौसम से उम्मीदें

संवाद सूत्र, संगरूर

जिला संगरूर में बासमती चावल की रोपाई के साथ धान रोपण का सीजन समाप्त होने की कगार पर है। एक जून को सीधी रोपाई से शुरू हुए सीजन में रेट को लेकर कई प्रकार के उताव चढ़ाव देखने को मिले। पिछले वर्ष कोरोना महामारी के कारण प्रवासी मजदूरों की बेहद कमी पाई गई, लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ। लॉकडाउन में ढिलाई के चलते प्रवासी मजदूर लगातार आते रहे, जिससे किसानों ने धान की रोपाई समय पर कर ली।

बता दें कि जिला संगरूर में 2 लाख 84 हजार हेक्टेयर में धान की बिजाई की जाती है। इस बार खेतीबाड़ी विभाग के प्रयासों से किसानों ने सीधी बिजाई के लिए अधिक दिलचस्पी दिखाई। सीजन के शुरू में मौसम के गर्म मिजाज व बिजली कट की वजह से किसानों को दिक्कतों का सामना करना पड़ा। कई किसानों ने धान को नष्ट कर दिया। दस जून से धान की रोपाई शुरू हो गई। ऐसे में किसानों ने सीधी बुवाई कमजोर होती देखकर रोपाई का सहारा लिया।

गांव बडरूखां के किसान रणजीत सिंह, संदीप सिंह, गुरजीत सिंह व धन्ना सिंह ने बताया कि उन्होंने हरा चारा काटने पश्चात खेत खाली होने पर बासमती की रोपाई की है। इस बार बाहरी राज्यों के मजदूरों ने प्रति एकड़ तीन हजार से 3500 रुपये के बीच लिया है। जबकि ग्रामीण मजदूरों ने चार हजार तक रोपाई का लिया। किसानों ने कहा कि बारिश अच्छी होने से धान का झाड़ अच्छा होने की उम्मीद है।

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