ग्रामीण युवा हो रहे उद्यमशील, मछली पालन पर दे रहे जोर
पंजाब सरकार द्वारा खेतीबाड़ी के सहायक धंधों को उत्साहित किया जा रहा है।
जागरण संवाददाता, संगरूर :
पंजाब सरकार द्वारा खेतीबाड़ी के सहायक धंधों को उत्साहित करने के लिए किए जा रहे प्रयत्नों तहत विगत तीन माह में ही करीब 37.50 एकड़ नया रकबा मछली पालन के अधीन आ चुका है। नीली क्रांति को वित्तीय मजबूती के लिए अपनाकर यह काश्तकार सरकार की योजनाओं का लाभ हासिल कर रहे हैं व अपने व्यापार का पसार करने की कोशिशों में हैं। इस संबंधी जानकारी देते डिप्टी कमिश्नर घनश्याम थोरी ने बताया कि काश्तकारों ने निजी जमीन व पंचायती जमीन में मछली पालन के तालाबों को विकसित करने का रुझान बढ़ाया है व जिला संगरूर के दोनों सरकारी मछली पूंग केंद्रों में मछली पूंग लेने वालों की गिनती में भी बढ़ावा हुआ है। सरकारी मछली पालन संगरूर में तीन माह में 25 लाख से अधिक पूंग सप्लाई हो चुका है जबकि बेनड़ा फार्म में 31 लाख पूंग की बिक्री हो चुकी है। जिससे साबित होता है कि किसानों ने खेतीबाड़ी के रिवायती फसली चक्कर में से निकलने के लिए सहायक धंधों को भी प्राथमिकता देना शुरु कर दिया है। मछली पालन विभाग में लगातार लगाए जा रहे सिखलाई कैंप, जिले के बेरोजगार व पढ़े-लिखे वर्ग को इस कार्य से जोड़ने में सफल साबित हो रहे हैं। डीसी घनश्याम थोरी ने बताया कि तीन माह में नए मछली तालाबों की खुदाई व नवीनीकरण सहित यंत्रों के लिए काश्तकारों को 6 लाख रुपये की सब्सिडी दी जा चुकी है।
मछली पालन विभाग के मुख्य कार्यकारी अफसर राकेश कुमार व सहायक डायरेक्टर चरणजीत सिंह ने बताया कि मछली पालन का कार्य वित्ती मजबूती के लिए सही आधार है क्योंकि मछली पूंग केवल 7-8 माह में बेचने योग्य हो जाता है व इसकी पैदावार का चक्कर लगातार चलता ही रहता है। जिले में 2 हजार से अधिक एकड़ में मछली की पैदावार हो रही है व रोहू, कतला, मुराख व कामन कार्प किस्मों प्रति किसानों का काफी रूझान है। खेती विभिन्नता की मुहिम तहत अधिक से अधिक लोगों का रूझान सहायक धंधों की तरफ बढ़ रहा है व मछली पालन का एकमात्र कार्य ऐसा है जिसमें मेहनत कम व लाभ अधिक है। अप्रैल से अब तक जहां पांच गांवों में एक दिवसीय कैंप लगाए जा चुके हैं वहीं 137 युवाओं को पांच दिवसीय मुफ्त सिखलाई कैंप दौरान मछली पालन संबंधी तकनीकी जानकारी मुहैया करवाई जा चुकी है।