सावधान! संगरूर की सड़कों पर बेसहारा पशुओं का कब्जा
सावधान! दिन ढलने के बाद रात के समय अगर आप संगरूर की सड़कों पर निकल रहे हैं तो सावधानी बरतनी होगी।
जागरण संवाददाता, संगरूर
सावधान! दिन ढलने के बाद रात के समय अगर आप संगरूर की सड़कों पर निकल रहे हैं तो सावधानी बरतनी होगी। सड़कों पर प्रशासन की लापरवाही के कारण बेलगाम घूम रहे बेसहारा पशु किसी भी रोड पर आपके लिए हादसे का सबब बन सकते हैं। रात होते ही सड़कों पर बेसहारा पशुओं के झुंड निकल पड़ते हैं। रिफ्लेक्टर इत्यादि न लगे होने व शहर की सड़कों पर रोशनी की पर्याप्त सुविधा न होने के कारण हर दिन पशुओं के कारण हादसे हो रहे हैं।
अगर पिछले दो वर्ष की बात करें तो इलाके में करीब 20 लोग मौत का शिकार हो चुके हैं। लापरवाही का आलम यह है कि जिला प्रशासन व नगर कौंसिल की सुस्ती कारण पिछले करीब दो वर्ष से पशुओं को पकड़ने के लिए मुहिम ठप पड़ी हुई है।
--------------------
झनेड़ी में बनी गोशाला सफेद हाथी, शहर की गोशालाएं फुल
संगरूर शहर के साथ लगती चार गोशालाओं में बेसहारा पशुओं को पकड़कर छोड़ने के लिए जगह नहीं है और गोशालाओं की क्षमता पूरी हो चुकी है। बेशक यह गोशालाएं गोवंश को कुछ समय के लिए रखते हैं, लेकिन फिर उन्हें छोड़ दिया जाता है। अकाली-भाजपा सरकार के कार्यकाल के दौरान संगरूर से दस किलोमीटर दूर झनेड़ी की पंचायत ने अपनी तरफ से 25 एकड़ जमीन गोशाला को दी, लेकिन यह गोशाला भी नाकाफी है। यहां सरकार व प्रशासन की तरफ पर्याप्त प्रबंध नहीं किए गए हैं। सैकड़ों की गिनती में गोवंश को यहां रखा गया है, लेकिन और पशु रखने के लिए शेडों की क्षमता नहीं है। ऐसे में यहां पर गोवंश छोड़ने जाने वाले ग्रामीणों को भी वापस लौटना पड़ता है। प्रशासन की सख्त दखल के बाद ही यहां पर पशु रखे जाते हैं। ---------------------- शहर की इन सड़कों पर पशुओं का आतंक
डीसी कोठी रोड, रेलवे चौक, गोशाला रोड, शाही समाध चौक से नानकियाना रोड तक, कालेज रोड, प्रताप नगर रोड, क्लब रोड, सुनामी गेट सब्जी मंडी, पटियाला गेट बाहर, किशनपुरा रोड, सरकारी अस्पताल रोड, अजीत नगर रोड, पुलिस लाइन रोड, बस स्टैंड बाहर, लेबर रोड चौक, किला मार्केट रोड, रोक्सी रोड, शहीद भगत सिंह चौक, रेलवे स्टेशन रोड ऐसी जगह पर जहां रात के समय गुजरना बेहद खतरनाक है, क्योंकि यहां पशुओं के झुंड सड़कों पर घूमते रहते हैं। ------------------------- गत सप्ताह के नौजवान की हुई मौत
शहर में गत शुक्रवार रात को मोटरसाइकिल सवार सतीश कुमार रंगा की बेसहारा पशु की चपेट में आने से मौत हो गई। मृतक दस वर्षीय बेटे का बाप था। यह इलाके में कोई पहला हादसा नहीं है, बल्कि पिछले दो वर्षों की बात करें तो सुनाम इलाके के एक पुलिस मुलाजिम समेत डेढ़ दर्जन लोगों की जान जा चुकी है, लेकिन इसके बाद भी नगर कौंसिल व जिला प्रशासन की कुंभकरणी नींद नहीं खुली है। आज भी हादसे लगातार जारी हैं व सड़कों पर मवेशियों की तादाद भी लगातार बढ़ रही है। ग्रामीणों इलाकों की तरफ से पशुओं को शहर की तरफ छोड़ दिया जाता है।
--------------------------
- लोगों को बचाने के लिए पशुओं को गोशाला पहुंचाए प्रशासन
शहर निवासी सतिदर सिंह, सरबजीत सिंह रेखी, नरेश जुनेजा, अवतार सिंह, जसवीर सिंह, डा. एएस मान ने प्रशासन से मांग की कि लोगों की कीमती जिदगी को बचाने के लिए प्रशासन व नगर कौसिल संयुक्त तौर पर मिलकर बेसहारा पशुओं को पकड़कर गौशाला पहुंचाने के लिए प्रबंध करें। साथ ही सरकार भी इन पशुओं के लिए गौशालाओं में बेहतर सुविधा व खुराक के लिए फंड मुहैया करवाएं। फंडों की कमी के कारण पच्चीस एकड़ में बनी गौशाला भी दम तोड़ रही है और हादसों में लोग दम तोड़ रहे हैं। अगर प्रशासन ने जल्द कदम न उठाए तो इसके परिणाम बेहद गंभीर होंगे। --------------------
कौंसिल व प्रशासन की होगी बैठक, बनाएंगे रणनीति : कार्यसाधक अफसर नगर कौसिल संगरूर के कार्यसाधक अफसर रमेश कुमार से बात करने पर उन्होंने कहा कि नगर कौंसिल द्वारा शहर से मवेशियों को पकड़कर गोशाला पहुंचाने के लिए बकायदा टीम बुलाई जाती है। शहर में पशुओं की समस्या से वह भलीभांति अवगत हैं। इसके समाधान के लिए प्रशासन के साथ बुधवार को बैठक की जाएगी। बैठक में अगली रणनीति बनाई जाएगी। जल्द से पशुओं को गोशाला पहुंचाया जाएगा, ताकि लोगों की कीमत जिदगी को कोई नुकसान न हो।