50 लाख रोजाना अदायगी पर बनी सहमति, टंकी से उतरे किसान
धूरी की शुगर मिल की तरफ बकाया करीब 20 करोड़ रुपये की अदायगी हर दिन 50 लाख रुपये के हिसाब से देने के वादे के बाद गन्ना काश्तकार संघर्ष कमेटी व मिल मैनेजमेंट के बीच सहमति सोमवार देर रात बन गई है।
जागरण संवाददाता, संगरूर
धूरी की शुगर मिल की तरफ बकाया करीब 20 करोड़ रुपये की अदायगी हर दिन 50 लाख रुपये के हिसाब से देने के वादे के बाद गन्ना काश्तकार संघर्ष कमेटी व मिल मैनेजमेंट के बीच सहमति सोमवार देर रात बन गई है। सहमति बनने के बाद सोमवार शाम को जिला प्रबंधकीय कांप्लेक्स की पानी की टंकी पर चढ़े दो गन्ना काश्तकार प्रेमजीत सिंह भोजोवाल व हरजीत सिंह बुगरां रात को दस बजे टंकी से नीचे उतर आए। इसके साथ ही गन्ना काश्तकारों ने टंकी के नीचे लगाया पक्का धरना भी रात हो समाप्त कर दिया। साथ ही ऐलान किया कि यदि करोड़ों की बकाया राशि की अदायगी मिल मैनेजमेंट पचास लाख रुपये रोजाना के वादे अनुसार अदा न नहीं करेगी तो गन्ना काश्तकार संघर्ष कमेटी फिर से कड़ा संघर्ष करेगी। रात को तहसीलदार केके मित्तल, मुख्य खेतीबाड़ी अफसर डा. जसविदरपाल सिंह ग्रेवाल ने गन्ना काश्तकार संघर्ष कमेटी के बीच हुई बैठक करके मसले को हल किया।
गन्ना काश्तकार संघर्ष कमेटी के कार्यकर्ता अवतार सिंह तारी, सरबजीत सिंह अलाल, हरजीत सिंह बुगरां ने कहा कि शुगर मिल की तरफ से गन्ना काश्तकारों को लंबे समय से पेमेंट के लिए परेशान किया जाता है। करोड़ों रुपये की पेमेंट बकाया होने के कारण हजारों गन्ना काश्तकारों को आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ता है, जिससे वह आर्थिक व मानसिक तौर पर परेशानी झेलते हैं। मिल मैनेजमेंट अपने वादे पर खरी नहीं उतरती, जिस कारण कुछ समय के बाद फिर पेमेंट लटक जाती है। अब 20 करोड़ रुपये की अदायगी का गन्ना काश्तकार इंतजार कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि मैनेजमेंट ने अब हर दिन 50 लाख रुपये के हिसाब से गन्ना काश्तकारों को उनकी बकाया राशि देने का वादा किया है, जिसके अनुसार गन्ना काश्तकार सारी पेमेंट लेकर ही दम लेंगे। अगर मिल मैनेजमेंट ने पूरी रकम देने की बजाए अधर में पेमेंट को लटकाया तो संघर्ष का बिगुल फिर बजाएंगे। उन्होंने गन्ना काश्तकारों को एकजुट होकर अपने हक की खातिर संघर्ष करने की अपील की। -------------------
दोनों पक्षों के बीच अदायगी का मसला हल कर दिया गया है। मिल मैनेजमेंट ने हर दिन अदायगी करने का भरोसा दिलाया है, जिससे संघर्ष कमेटी के कार्यकर्ता भी सहमत हो गए हैं। --डा. जसविदरपाल सिंह ग्रेवाल, मुख्य खेतीबाड़ी अफसर