जैन सभा कोविड में भी समाजसेवा में आगे, अब स्कूल खोलने की है योजना

बेशक रूपनगर में जैन बिरादरी तादाद में बहुत ज्यादा नहीं है लेकिन शहर की संस्थाओं में समाजसेवा में इसका कोई मुकाबला भी नहीं है।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 18 May 2021 10:17 PM (IST) Updated:Tue, 18 May 2021 10:17 PM (IST)
जैन सभा कोविड में भी समाजसेवा में आगे, अब स्कूल खोलने की है योजना
जैन सभा कोविड में भी समाजसेवा में आगे, अब स्कूल खोलने की है योजना

अजय अग्निहोत्री, रूपनगर: बेशक रूपनगर में जैन बिरादरी तादाद में बहुत ज्यादा नहीं है, लेकिन शहर की संस्थाओं में समाजसेवा में इसका कोई मुकाबला भी नहीं है। कोरोनाकाल में भी रूपनगर की एसएस जैन सभा जी जान से जुटी हुई है। जैन एक मुफ्त जैन फ्री डिस्पेंसरी चला रही है। इसके अलावा उसकी एक स्कूल खोलने की भी योजना है। इस बारे में दैनिक जागरण से एसएस जैन सभा के प्रधान विनोद जैन ने सभा की भविष्य की योजनाओं के बारे में खुलकर चर्चा की। सवाल : एसएस जैन सभा कितनी पुरानी है । जवाब: जैन सभा रूपनगर में करीब 200 साल से काम कर रही है, पर इसकी सही तारीख या साल पष्ट नहीं है। जैन सभा का एकमात्र उद्देश्य जरूरतमंदों की मदद करना है सवाल: एसएस जैन सभा कौन- कौन से समाजसेवा के काम कर रही है और किस तरह इन्हें अंजाम देती है। जवाब: जैन सभा रक्तदान कैंप व आंखों के जांच कैंप मेडिकल आदि लगवाती है। जैन सभा की पांच शाखाएं महिला संघ, युवक मंडल, वर्धमान सामाजिक समिति, जैन शिक्षा निकेतन व तरनी मंडल अलग अलग क्षेत्रों में समाजसेवा के काम करती हैं। सवाल: जैन सभा की उपलब्धियां क्या- क्या हैं। जवाब: जैन सभा एक मुफ्त डिस्पेंसरी चालीस साल से चला रही है। डिस्पेंसरी में रोजाना 150 लोग क्वालीफाइड डाक्टर के पास मुफ्त चेकअप करवाकर दवा ले रहे हैं। डिस्पेंसरी लगातार बिना किसी रुकावट के चल रही है और इलाके के लोगों को स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान कर रही है। सवाल: जैन सभा की भविष्य की प्रमुख योजनाएं क्या हैं जवाब: जैन सभा रूपनगर में एक स्कूल खोलना चाहती है। इस योजना पर काम चल रही है। कोविड की वजह से इसमें देरी हो रही है, लेकिन जल्द स्कूल खोलने को लेकर सभा की कैबिनेट फैसला लेगी। सवाल : सभा को क्या- क्या समस्याएं आ रही हैं और सभा समाजसेवा के काम चलाने के लिए फंड का प्रबंध कैसे करती है।

जवाब: जैन सभा की एक खासियत ये है कि जैन सभा चंदा इकट्ठा नहीं करती। जो भी समाजसेवा के काम हैं, वह समाज के लोग ही खुद फंड एकत्र करके करते हैं। सरकार के नुमाइंदे भी ग्रांट जरूर घोषित करते हैं, जिससे संबंधित इमारत आदि का निर्माण करवाया जाता है। जैन संत समाज के साम‌र्थ्यवान व्यक्तियों से सदकार्यों के लिए आर्थिक मदद दिलाते हैं। सवाल: जैन संतों के चार माह के एक स्थान पर रुकने को चातुर्मास कहा जाता है, आप इस बारे में बताएं। जवाब: चार्तुमास बरसात के सीजन के महीने होते हैं। इनमें जैन संत विहार नहीं करते। वह एक स्थान पर ही रहकर प्रभु सिमरन करते हैं और उस कस्बे या शहर की संगत में प्रवचन करते हैं। साल के बाकी महीनों में संत विहार करते हैं। सवाल: आप जैन सभा के बतौर प्रधान सेवादारी करके कैसा महसूस कर रहे हैं। जवाब: मैं फाइनांस विभाग चंडीगढ़ में से बतौर सुपरिटेंडेंट सेवानिवृत्त होने के बाद एसएस जैन सभा को अपना पूरा समय दे रहा हूं और अब सभा का प्रधान हूं। मुझे इस बात का सुकून है कि भगवान महावीर के उपदेश जीओ और जीने और अहिसा परमोधर्म के सिद्धांतों पर सभा काम करती है।

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