मलेरकोटला को जिला बनाना किसी भी सूरत में सही नहीं : घनौली

रूपनगर में शिव सेना पंजाब की अहम बैठक पार्टी के दफ्तर में हुई जिसकी अध्यक्षता पार्टी के प्रमुख संजीव घनौली ने की।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 17 May 2021 02:57 PM (IST) Updated:Mon, 17 May 2021 08:29 PM (IST)
मलेरकोटला को जिला बनाना किसी भी सूरत में सही नहीं : घनौली
मलेरकोटला को जिला बनाना किसी भी सूरत में सही नहीं : घनौली

संवाद सहयोगी, रूपनगर: रूपनगर में शिव सेना पंजाब की अहम बैठक पार्टी के दफ्तर में हुई, जिसकी अध्यक्षता पार्टी के प्रमुख संजीव घनौली ने की।

संजीव घनौली ने कहा कि ईद के दिन बिना किसी मांग अचानक मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिदर सिंह का एक छोटी सी तहसील मलेरकोटला को मुस्लिम बहुल होने के चलते जिला बनाने सहित वहां मेडिकल कालेज के नाम पर 500 करोड़ रुपए देने की घोषणा करना किसी भी स्तर पर सही नहीं है। पंजाब सरकार के इस फैसले का शिवसेना पंजाब कड़ा विरोध करती है। घनौली ने कहा कि धर्म के आधार पर जिले की स्थापना के फैसले से कांग्रेस ने अपना कश्मीर वाला पुराना इतिहास दोहराने का कार्य किया है। कैप्टन सरकार के इस फैसले के बाद मलेरकोटला में हर संवैधानिक पद पर मुस्लिम को बैठाने की कोशिश सरकार करेगी। उन्होंने कहा कि वहां कश्मीर की तरह मुस्लिम आबादी बढ़ने से हिदूओं और बाकी धर्म के लोगों के पलायन करने के परिणाम भूगतने की आशंकाओं को नकारा नहीं जा सकता। हरियाणा के मेवात, यूपी के किराना और कश्मीर सहित उत्तर प्रदेश, बंगाल व केरल में मुस्लिम आबादी बढ़ने से हिदुओं का पलायन हुआ, उससे सबक नहीं लेकर कांग्रेस की पंजाब सरकार ने भी ममता बनर्जी की तरह मुस्लिम वोट बैंक हासिल करने के लिए उक्त जनविरोधी फैसला लिया है । अगर मलेरकोटला को जिला बनाने का फैसला वापस न लिया, तो पार्टी पूरे पंजाब में इसके विरोध में आंदोलन छेड़ेगी। इस मौके जिला प्रमुख नितिन नंदा, ज्ञानचंद वर्मा, धनेश भनोट, सतपाल गंगूवाल, अमरीश आहूजा व सुखविदर सिंह आदि भी हाजिर थे। मलेरकोटला को 23वां जिला बनाना गलत: नंदा जागरण संवाददाता, रूपनगर: ईद के मौके पर पंजाब सरकार के मलेरकोटला को 23वां जिला बनाने के एलान का शिवसेना ने विरोध किया है। शिवसेना के जिला अध्यक्ष नितिन नंदा ने कहा के कोविड-19 का दौर चल रहा है। लोग रोजी रोटी के लिए मोहताज हो रहे हैं, जबकि कैप्टन सरकार ने 23वां जिला बनाकर प्रदेश पर और बोझ डाल दिया है। जिला बनाने से जिले में प्रशासनिक अमला भी तैनात करना पड़ेगा, जिसका बोझ आम जनता पर ही पड़ेगा। कैप्टन सरकार ने केवल एक समुदाय के लोगों को खुश करने के लिए ईद पर तोहफा तो दे दिया। लेकिन यह नहीं सोचा के अगर कोई और समुदाय बहुमत से किसी जिले में रह रहा है, तो क्या उसके लिए भी वह नया जिला घोषित कर देंगे। प्रशासनिक अमले के अलावा जिले में कार्यालयों का निर्माण भी करना पड़ेगा, जिससे सरकारी खजाने पर भार पड़ेगा। कैप्टन सरकार को हर वर्ग को देखकर ऐसा फैसला लेना चाहिए, जिससे लोगों को रोजगार मिले । कोविड-19 के इस दौर में यह फैसला लेना बिल्कुल ही निदनीय है।

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