शिक्षण संस्थान तो खुलने चाहिए, पर स्कूलों में जरूरी इंतजाम होना भी जरूरी

ककक अरुण कुमार पुरी रूपनगर अनलाक पांच के शुरू होने के साथ सरकार ने 15 अक्टूबर से स्कू

By JagranEdited By: Publish:Sat, 03 Oct 2020 11:25 PM (IST) Updated:Sat, 03 Oct 2020 11:25 PM (IST)
शिक्षण संस्थान तो खुलने चाहिए, पर स्कूलों में जरूरी इंतजाम होना भी जरूरी
शिक्षण संस्थान तो खुलने चाहिए, पर स्कूलों में जरूरी इंतजाम होना भी जरूरी

अरुण कुमार पुरी, रूपनगर : अनलाक पांच के शुरू होने के साथ सरकार ने 15 अक्टूबर से स्कूल कालेज खोले जाने की अनुमति भी प्रदान कर दी है। इसके बाद शिक्षण संस्थानों में पढ़ाई शुरू होने की उम्मीद तो जाग गई है, लेकिन सरकार ने जो स्कूल व कालेज खोलने संबंधी हिदायतें जारी की हैं, उनसे असमंजस जैसी स्थिति भी बन गई है। सरकार शिक्षण संस्थान खोलने के साथ चाहती है कि संबंधित मैनेजमेंट व प्रशासन जहां गाइडलाइन तय करे , वहीं बच्चों के अभिभावकों से लिखित अनुमति भी ली जाए। ऐसे हालातों में लगभग छह माह के लंबे अंतराल बाद शिक्षण संस्थान चाहे खुल जाएंगे लेकिन ज्यादातर अभिभावक अपने बच्चों को स्कूल भेजने के हक में नहीं दिख रहे। इस बारे दैनिक जागरण ने कुछ अभिभावकों व बुद्धिजीवियों के साथ बात की। रेटरी इंटरनेशनल के पूर्व जिला सहायक गवर्नर प्रदीप सोनी ने कहा कि कोरोना से बचाव को लेकर शिक्षण संस्थान के प्रबंधकों सहित शिक्षकों व बच्चों के माता-पिता को आपस में तालमेल बिठाते हुए व्यवस्था बनानी होगी अन्यथा बच्चों की स्कूल कालेज जाने की आदत ही खत्म हो जाएगी जोकि राज्य व देश के भविष्य के लिए अच्छा संकेत नहीं है। समाज सेवी एवं निवर्तमान पार्षद हरमिदरपाल सिंह वालिया ने कहा कि शिक्षण संस्थानों का खुलना तो जरूरी है लेकिन इसके साथ बच्चों की कोरोना से सुरक्षा भी सुनिश्चित बनाना जरूरी है। इसके लिए शिक्षण संस्थान खोलने से पहले जिला प्रशासन को ऐसी गाइडलाइन जारी करनी चाहिए जिससे बच्चे सुरक्षित रहते हुए अपनी पढ़ाई कर सकें। जिला शिकायत निवारण कमेटी के सदस्य राजेश कुमार ने कहा कि आठवीं से ऊपर वाली कक्षाओं के विद्यार्थी तो योग्य मार्गदर्शन मिलने पर अपनी सुरक्षा कर सकते हैं नर्सरी से लेकर सातवीं तक के बच्चों को फिलहाल आनलाइन ही पढ़ाना ठीक है , जबकि आठवीं से 12 वीं तक के बच्चों बारे भी आधे बच्चे एक दिन तो शेष आधे बच्चे अगले दिन बुलाने पर विचार किया जाना चाहिए।

शिक्षा विशेषज्ञ अश्वनी शर्मा ने कहा कि छह माह से घरों में बैठे बच्चों को अगर स्कूल का रास्ता नहीं दिखाया गया तो बच्चों का स्कूल से मोह भंग होने का भी खतरा है जोकि शायद किसी भी बच्चे के भविष्य के लिए अच्छा नहीं। शिक्षण संस्थान खुल रहे हैं व खुलने भी चाहिए लेकिन बच्चों की कोरोना से सुरक्षा के लिए बच्चों के अभिभावकों सहित शिक्षकों व स्कूल प्रबंधकों को मिलकर दायित्व निभाना होगा।

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