आईस्टेंट इंजेक्ट सर्जरी से ठीक किया ग्लूकोमा
नेत्र चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में एक बड़ी प्रगति सामने आई है। पंजाब के जिला रूपनगर के नेत्र सर्जन डा. वरुण बावेजा ने आंखों में ग्लूकोमा को ठीक करने के लिए दिल के स्टेंट के समान एक क्रांतिकारी आइस्टेंट तकनीक प्रस्तुत की है।
संवाद सहयोगी, रूपनगर: नेत्र चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में एक बड़ी प्रगति सामने आई है। पंजाब के जिला रूपनगर के नेत्र सर्जन डा. वरुण बावेजा ने आंखों में ग्लूकोमा को ठीक करने के लिए दिल के स्टेंट के समान एक क्रांतिकारी आइस्टेंट तकनीक प्रस्तुत की है। डा. वरुण बावेजा भारत के ऐसे पहले आई सर्जन हैं, जिन्हें आईस्टेंट इंजेक्ट सर्जरी के लिए इंग्लैंड से सर्टिफिकेट मिला है। इस नेत्र शल्य चिकित्सा का उपयोग ग्लूकोमा रोग के इलाज के लिए किया जाता है, जिसे आमतौर पर काला मोतिया के नाम से भी जाना जाता है। रूपनगर शहर में बवेजा मल्टीस्पेशलिटी अस्पताल में सलाहकार एवं नेत्र रोग विशेषज्ञ डा. वरुण बवेजा ने अनुसार उन्होंने 2009 में अमेरिकन एकेडमी आफ आप्थेल्मोलाजी जरनल में अपनी तकनीक संबंधी पोस्टर प्रकाशित करवाया था और बहुत ही कम समय में उन्होंने 5000 से अधिक नेत्र सर्जरी का रिकार्ड कायम किया है। डा. वरुण बवेजा के अनुसार खुशी की बात यह है कि आईस्टेंट इंजेक्ट सर्जरी वाली तकनीक ग्लूकोमा के लिए एक समाधान प्रदान करती है। इस रोग में आंखों में कई परेशानियां एक साथ हो जाती हैं जिनसे नेत्रहीनता की स्थिति पैदा हो जाती है, क्योंकि यह रोग आप्टिक नर्व को नुकसान पहुंचाता है जोकि अच्छी निगाह के लिए जरूरी होती है। यह क्षति आंख में असामान्य रूप से उच्च दबाव पैदा होने से होती है। यह रोग वृद्धावस्था में नजर कमजोर होने के प्रमुख कारणों में से एक है।
ग्लूकोमा से पीड़ित लोगों को अक्सर दर्दनाक और चीरफाड़ वाली सर्जरी करवानी पड़ती है। भारत में अन्य उपचार विकल्पों में आई ड्राप और दवाएं शामिल हैं , लेकिन इस नई तकनीक से आंख में अतिरिक्त दबाव को खत्म करने के लिए एक स्टेंट लगाया जाता है, जोकि दिल में डाले जाने वाले स्टेंट के जैसा ही है। यह बिना किसी रुकावट के आंख से तरल पदार्थ की आवाजाही के लिए एक चैनल बना देता है। जब रक्त वाहिकाएं बंद हो जाती हैं, तो आइस्टेंट आंख में तरल पदार्थ के प्रवाह को बनाए रखता है। सबसे आम प्रकार के ग्लूकोमा में अकसर धीरे-धीरे नजर कम होने के अलावा अन्य कोई लक्षण नहीं होता है। एंगल-क्लोजर मोतियाबिद जो होता तो दुर्लभ है, लेकिन एक ऐसी मेडिकल इमरजेंसी है, जिसके लक्षणों में मतली के साथ आंखों में दर्द और अचानक नजर की गड़बड़ी शामिल होती है। रूपनगर में उनके अस्पताल में दिल्ली के एक 45 वर्षीय मरीज पर ग्लूकोमा के इलाज के लिए पहला आइस्टेंट इंजेक्ट प्रोसेस सफलतापूर्वक किया गया।