पहले रेल अब बसें नहीं चलीं

पंजाब रोडवेज मुलाजिमों की साझी एक्शन कमेटी ने पूर्व घोषित प्रोग्राम के तहत वीरवार को रोडवेज डिपो से कोई बस नहीं चलाई।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 27 Nov 2020 12:00 AM (IST) Updated:Fri, 27 Nov 2020 12:00 AM (IST)
पहले रेल अब बसें नहीं चलीं
पहले रेल अब बसें नहीं चलीं

जागरण संवाददाता, रूपनगर: पंजाब रोडवेज मुलाजिमों की साझी एक्शन कमेटी ने पूर्व घोषित प्रोग्राम के तहत वीरवार को रोडवेज डिपो से कोई बस नहीं चलाई। इसके अलावा प्राइवेट बस आपरेटरों की बसों को भी नहीं चलने दिया। पहले किसानों के संघर्ष के मद्देनजर रेल का आवागमन लंबे समय बंद रहा और वीरवार को रोडवेज कर्मचारियों ने मांगों की पूर्ति के लिए जिले में बसों को नहीं चलने दिया। रूपनगर नए बस अड्डे पर सुबह नौ बजे आई पांच प्राइवेट बसों को रोककर उन्हें बस अड्डे में खड़ा कर दिया गया। बसों में सवार सवारियों को परेशानी का सामना करना पड़ा। रूपनगर से दूसरे शहरों में नौकरी करने जाने वाले लोगों को भी परेशानी हुई। दोपहर बाद निजी बसें ता चलीं, पर पूरा दिन कोई भी सरकारी बस नहीं चली। रूपनगर से बलाचौर नगर कौंसिल में डयूटी करने जाने वाले गौरव वर्मा ने बताया कि वह प्राइवेट बस में ड्यूटी जाने के लिए सुबह सवार हुए और बस अड्डे के पास रोडवेज के कर्मचारियों ने बस को रोक दिया । उन्होंने सवारियों को उतार दिया गया। बस स्टैंड पर मन्ना देवी और रीता देवी ने कहा कि उनके परिवार के छह सदस्य हिमाचल के सिरमौर से अमृतसर के लिए चले थे, लेकिन रूपनगर में बस को रोक दिया गया। गुलाम अली और शीना ने कहा कि वह चमकौर साहिब से माहिलपुर के लिए निकले थे। रूपनगर पहुंचे, तो बस को रोक दिया गया। कोई साधन नजर न आने पर अब उन्होंने अपने बेटे को घर से बुलाया और वापस घर चले जाएंगे। मलोट जाना था, यहीं फंस गए: राहुल बस स्टैंड पर राहुल शर्मा और रशपाल सिंह ने कहा कि वह एनसीसी अकादमी में तैनात है। उन्होंने जरूरी काम के लिए पहले लुधियाना फिर वहां से मलोट जाना था, लेकिन उनको यहां बस अड्डे पर आए एक घंटे से ऊपर हो गया, लेकिन कोई बस नहीं आई। जो बसें आईं थी, उनको भी बस अड्डे में रोक दिया गया है।

मौसी के बेटे की शादी में जाना था: सोनिया

अपने बेटे के साथ चंडीगढ़ से आई सोनिया ने बताया कि उन्होंने अपनी मौसी के बेटे की शादी की रस्म में शामिल होने के लिए अमृतसर जाना था, लेकिन बस को रूपनगर से आगे नहीं जाने दिया गया। उसके पास इतने पैसे भी नहीं है कि वह टैक्सी का किराया दे सकें। एक निजी बस के कंडक्टर से पहले पूछा था कि हमें अमृतसर पहुंचा दोगे, तो कंडक्टर ने उनको समय पर पहुंचाने की बात कही थी, पर रोडवेज कर्मचारियों की हड़ताल के कारण वह यहां पर फंस गए। कर्मचारियों ने प्राईवेट बसों को बस अड्डे से बाहर नहीं जाने दिया।

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