हर कीमत पर रद करवाएंगे कृषि बिल
संवाद सहयोगी रूपनगर केंद्र के पास किए गए किसान विरोधी कृषि बिल को पास करने से खफा होक
संवाद सहयोगी, रूपनगर: केंद्र के पास किए गए किसान विरोधी कृषि बिल को पास करने से खफा होकर शिअद ने एनडीए का साथ छोड़ा है । इस बिल का शिअद खुलकर विरोध करेगा। रूपनगर के गुरुद्वारा श्री भट्ठा साहिब में शिअद वर्करों की बैठक में शिअद अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने कहा कि एक अक्टूबर को श्री अकाल तख्त साहिब अमृतसर सहित तख्त श्री दमदमा साहिब तलवंडी साबों तथा तख्त श्री केसगढ़ साहिब आनंदपुर साहिब से विशाल किसान मार्च निकाला जा रहा है , जोकि मोहाली के गुरूद्वारा इंब साहिब पहुंचने के बाद राज्यपाल को राष्ट्रपति के नाम का ज्ञापन सौंपा जाएगा। बादल ने कहा कि इन बिलों के पास होने से किसान तो बर्बाद होगा, साथ में आढ़तियों, खेती मजदूरों व कृषि व्यवसाय से जुड़े व्यापारियों का कारोबार भी ठप हो जाएगा । इसका सीधा लाभ कॉरपोरेट घरानों को मिलेगा। एमएसपी खत्म होने से किसानों का बड़ा नुकसान होगा। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिदर सिंह व कांग्रेस सोनिया गांधी व राहुल गांधी भी इन बिलों को लेकर चुप्पी साधे बैठे हैं । इसके अलावा महाराष्ट्र में भी कांग्रेस ने जिस शिवसेना के साथ समझौता किया हुआ है, वहीं शिवसेना कृषि बिलों को लेकर भाजपा के साथ है। .. तो हम कैप्टन का स्वागत करते कैप्टन अमरिदर सिंह पर बरसते सुखबीर बादल ने कहा कि कैप्टन का अगर किसानों का दर्द होता, तो पंजाब को सरकारी मंडी बनाने का ऐलान करते। घर से बाहर निकल किसानों के साथ खड़े होते, तो हम भी उनका स्वागत करते। कांग्रेस नेता रवनीत सिंह बिट्टू सहित आप नेता भगवंत मान केवल किसानों के साथ होने का ड्रामा मात्र करते हैं , जबकि सच्चाई इससे कोसों दूर है। पंजाब के पानी के मुद्दे पर केवल प्रकाश सिंह बादल ने ही स्टैंड लिया, जबकि केजरीवाल भी किसानों को गुमराह करते आ रहे हैं। दिल्ली तख्त के साथ लड़ेंगे लड़ाई इस मौके पूर्व सांसद प्रोफेसर प्रेम सिंह चंदूमाजरा ने कहा कि अब श्री अकाल तख्त साहिब से सीधी लड़ाई दिल्ली तख्त के साथ लड़ी जाएगी। तीनों बिलों को रद्द करवा कर ही दम लिया जाएगा। कृषि विरोधी बिल पर दिल्ली कांग्रेस चुप्प क्यों वहीं शिअद के प्रवक्ता एवं पूर्व मंत्री डॉ. दलजीत सिंह चीमा ने कहा कि कृषि विरोधी बिल पर पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह सहित कांग्रेस की लीडरशिप ने चुप्प है, जबकि मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिदर सिंह किसानों के साथ खड़े होने का ड्रामा मात्र रचने में लगे हुए हैं। अगर कैप्टन बिलों के खिलाफ हैं , तो उन्हें खुलकर मैदान में उतरना चाहिए।