निजी अस्पताल आयुष्मान स्वास्थ्य बीमा योजना के कार्ड धारकों का नहीं करेंगे इलाज

आयुष्मान सरबत स्वास्थ्य बीमा योजना के साथ जुड़े निजी अस्पतालों ने स्टेट मेडिकल एसोसिएशन व जिला मेडिकल एसोसिएशन की सलाह से फैसला किया है कि इस योजना के कार्ड धारकों का किसी भी प्राइवेट अस्पताल में इलाज वहीं किया जाएगा।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 24 Oct 2021 03:17 PM (IST) Updated:Sun, 24 Oct 2021 03:17 PM (IST)
निजी अस्पताल आयुष्मान स्वास्थ्य बीमा योजना के कार्ड धारकों का नहीं करेंगे इलाज
निजी अस्पताल आयुष्मान स्वास्थ्य बीमा योजना के कार्ड धारकों का नहीं करेंगे इलाज

संवाद सहयोगी, रूपनगर: आयुष्मान सरबत स्वास्थ्य बीमा योजना के साथ जुड़े निजी अस्पतालों ने स्टेट मेडिकल एसोसिएशन व जिला मेडिकल एसोसिएशन की सलाह से फैसला किया है कि इस योजना के कार्ड धारकों का किसी भी प्राइवेट अस्पताल में इलाज वहीं किया जाएगा।

स्टेट मेडिकल एसो. के डा. बीपीएस परमार तथा जिला मेडिकल एसोसिएशन के डा. अजय जिदल ने कहा कि इस फैसले को तुरंत प्रभाव से लागू कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि इससे पहले आयुष्मान योजना के साथ जोड़े गए सारे प्राइवेट अस्पताल गरीब मरीजों की सहायता के लिए बड़े स्तर पर पूरी लगन से काम करते रहे हैं, लेकिन नई इंश्योरेंस कंपनी एसबीआइ जनरल के आने के बाद सारे प्राइवेट अस्पतालों को काफी हताशा का सामना करना पड़ा है। 20 अगस्त 2021 से इस कंपनी ने ज्वाइन किया है, जबकि पिछले 60 दिनों से किसी भी अस्पताल को कोई पैसा रिलीज नहीं किया गया। कांट्रैक्ट नियमों की अगर बात करें, तो इलाज के 15 दिनों के भीतर पैसा रिलीज करना होता है। इसके अलावा बीएएमएस, बीडीएस तथा बीएचएमएस डाक्टरों को इंस्पेक्टर बनाकर अस्पतालों की चेकिग पर लगाया गया है, जोकि सरकार द्वारा जारी गाइडलाइन व एमओयू के नियमानुसार पूरी तरह उलट है। कंपनी अस्पतालों के पैसे में कटौती करने के विभिन्न ढंग अलग से अपनाती है। उन्होंने बताया कि इस समस्या को लेकर आइएमए पंजाब की टीम राज्य के स्वास्थ्य मंत्री सहित उप मुख्यमंत्री एम प्रकाश सोनी तथा हेल्थ सचिव विकास गर्ग से भी मिल चुकी है , लेकिन उन्होंने भी इस पर कोई कार्रवाई नहीं की। इसके चलते यह कठोर फैसला लेना पड़ा है। इस समस्या बारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी अवगत करवाया जा चुका है, लेकिन अभी तक समाधान नहीं हुआ। इसलिए अब इस कार्ड के दायरे में आने वाले मरीजों का उस दिन तक इलाज नहीं किया जाएगा, जब तक हमारी मांगें पूरी नहीं होंगी।

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