योजनाबंदी से हो काम तो मिलेंगे पौधारोपण के बेहतर परिणाम
रूपनगर जिले में पौधारोपण को लेकर एक नहीं दर्जनों संस्थाएं काम करती हैं लेकिन योजनाबंदी की कमी है।
जागरण संवाददाता, रूपनगर : रूपनगर जिले में पौधारोपण को लेकर एक नहीं दर्जनों संस्थाएं काम करती हैं लेकिन योजनाबंदी की कमी है। अगर समाजसेवी संस्थाएं एकजुट होकर वन विभाग की सलाह के साथ पौधारोपण करें तो बड़ा फायदा पर्यावरण का हो सकता है। रूपनगर के पर्यावरणविद मास्टर जसप्रीत सिंह चड्ढा बताते हैं कि पर्यावरण को हरा भरा रखना जरूरी है। पर्यावरण हरा भरा होगा तभी हम स्वस्थ हैं।
जिले में ईको टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए आरनामेंटल प्लांट लगाने चाहिए। जकारडा और पेशिया फसकुला है। इसके अलावा हमारे सांस्कृतिक पेड़ नीम, बरमद, पीपल, टाहली, किक्कर, अमलतास तो होने ही चाहिए।
स्वेच्छुक लोग ही लगाए जाएं कमेटी सदस्य
प्रशासन तो काम करता ही है लेकिन बायो डायवर्सिटी के लिए पर्यावरण संभाल कमेटियां बननी चाहिए और उसमें सियासी लोग नहीं बल्कि पर्यावरण के लिए काम करने वाले स्वेच्छुक लोग ही शामिल होने चाहिए।
20 से 25 साल की हो योजनाबंदी
चड्ढा कहते हैं कि जहां विकास होना है वहां पौधे न लगाए जाएं। 20 से 25 साल की योजना बनाकर पौधारोपण करना चाहिए। कई जगह ये देखा जाता है कि पौधारोपण किया जाता है और फिर दो चार साल बाद वहां विकास के नाम पर कटाई हो जाती है। इसलिए अगले 20 साल की योजना आवश्यक है। नई सड़कें जहां बननी है और जहां इमारतें बननी हैं वहां पौधे न लगाए जाएं।