जयघोषों के बीच प्रकाश पर्व पर भक्तिमस बना वातावरण

श्री गुरु नानक देव जी का 551वां प्रकाशोत्सव सोमवार को समूचे इलाके के गुरु घरों में श्रद्धापूर्वक मनाया गया।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 30 Nov 2020 04:27 PM (IST) Updated:Mon, 30 Nov 2020 04:27 PM (IST)
जयघोषों के बीच प्रकाश पर्व पर भक्तिमस बना वातावरण
जयघोषों के बीच प्रकाश पर्व पर भक्तिमस बना वातावरण

जागरण संवाददाता, नंगल: श्री गुरु नानक देव जी का 551वां प्रकाशोत्सव सोमवार को समूचे इलाके के गुरु घरों में श्रद्धापूर्वक मनाया गया। पिछले तीन दिनों से जारी श्री अखंड पाठ के भोग डाले गए। दीपमालाओं से सजे गुरुद्वारों में फूलों से सजे प्रकाशमान के समक्ष संगत ने नतमस्तक होकर सच्चे पातशाह के चरणों में अरदास करते हुए लोक कल्याण की कामना की। नया नंगल के गुरुद्वारा सिंह सभा तथा नंगल की मेन मार्केट के गुरु घर में रागी जत्थों ने गुरबाणी के शबदों का संगीतमय उच्चारण करते हुए संगत का अध्यात्मिक मार्गदर्शन किया। नंगल डैम झील के तटवर्ती गुरुद्वारा घाट साहिब में प्रात: से ही श्री गुरु ग्रंथ साहिब के प्रकाशमान में रागी जत्थों ने गुरुबाणी का संगीतमय उच्चारण किया। सिख पंथ से जुड़े गणमान्य लोगों ने भी संगतों को गुरमति विचारों से धर्म मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी। दीपमालाओं से सजाए गुरुद्वारा सिंह सभा तथा एतिहासिक गुरुद्वारा विभोर साहिब में अखंड पाठ के भोग डाले गए। कार्यक्रम में गुरुद्वारा कमेटी के प्रधान जगदेव सिंह कुक्कू, शरनजीत सिंह, हरपाल सिंह तथा साहिबजादा फतेह सिंह सेवा सोसायटी के अध्यक्ष कुलदीप सिंह, इंजी. मनविंदर सिंह पाल आदि सहित इलाके के गणमान्य लोगों ने गुरु घर में सजदा करते हुए प्रकाश पर्व पर सभी को बधाई दी। तख्त श्री केसगढ़ साहिब के हजूरी रागी जत्थे में शामिल भाई नोनिहाल सिंह ने श्री गुरु नानक देव जी के बताए उपदेशों व मार्ग पर चलकर मानवता के कल्याण व समाज की बेहतरी में योगदान जारी रखें। दिन भर गुरुद्वारों में बोले सो निहाल सतश्री अकाल के जयघोषों के बीच संगतों की ओर से किए गुणगान ने वातावरण को भक्ति रस से सराबोर किए रखा।

इस अवसर पर विभिन्न गुरुद्वारों में आयोजित कार्यक्रमों में जसपाल सिंह, इंजी. मनविंदर सिंह, हरपाल भसीन, अमरजीत सिंह, भाई वचित्र सिंह, बवनदीप सिंह कोहली, वीरइंद्र सिंह सूरी, दवेंद्र सिंह साहनी, सुरजीत सिंह, नानक सिंह बेदी, मलकीत सिंह, महेंद्र सिंह, मनमोहन सिंह मोनी, सुखबंत भसीन आदि सहित बड़ी संख्या में संगत ने शामिल होकर गुरु की वाणी का संगीतमय उच्चारण किया।

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