सेवा व दान से ही मिलती है आत्मिक शांति: सतनाम सिह

रूपनगर के साथ लगते सर्व धर्म सत्कार तीर्थ धमाना कलां भनियारोंवाली में दीपावली को लेकर जारी जंगल व जंगली जीवों की सेवा वाला अभियान आज रविवार को हवन व महा सत्संग के साथ समाप्त हो गया।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 07 Nov 2021 04:39 PM (IST) Updated:Sun, 07 Nov 2021 04:39 PM (IST)
सेवा व दान से ही मिलती है आत्मिक शांति: सतनाम सिह
सेवा व दान से ही मिलती है आत्मिक शांति: सतनाम सिह

संवाद सहयोगी, रूपनगर: रूपनगर के साथ लगते सर्व धर्म सत्कार तीर्थ धमाना कलां भनियारोंवाली में दीपावली को लेकर जारी जंगल व जंगली जीवों की सेवा वाला अभियान रविवार को हवन व महा सत्संग के साथ समाप्त हो गया।

रविवारसुबह चार बजे तीर्थ प्रमुख बाबा सतनाम सिंह जी के नेतृत्व में संगतों ने धमाना के जंगलों में जाकर पशु व पक्षियों को जहां चारा व अनाज डाल,ा वहीं तीर्थ के संस्थापक बाबा प्यारा सिंह द्वारा जंगलों में बनवाए गए तालाबों में पानी भी भरवाया। इसके उपरांत तीर्थ परिसर में जारी हवन यज्ञ में पूर्णाहूति डाली गई। इस मौकेबाबा सतनाम सिंह जी ने कहा कि हर पल व हर सांस के लिए हमें ईश्वर का शुक्रगुजार होना चाहिए तथा मन पर किसी प्रकार का तनाव, दबाव, कोई चिता अथवा भय का बोझ नहीं डालना चाहिए। बाबा जी ने कहा कि यह सब कुछ अस्थाई है और जीवन पलक झपकने तक का खेल है। उन्होंने कहा कि अगर संसार एवं भव सागर से पार जाना है तो प्रभु की शरण लें क्योंकि प्रभु की कृपा होते ही सुख के सारे द्वार अपने-आप खुल जाते हैं। उन्होंने कहा कि श्रद्धा व्यक्ति के स्वभाव में नम्रता लाती है इसलिए हमें प्रत्येक कार्य श्रद्धा व लगन से करके अपने उद्देश्य को पूरा करना चाहिए। अगर जीवन में त्याग व प्रेम आ जाए तो सुख ही सुख संभव है। उन्होंने कहा कि मनुष्य को पुरूषार्थी बनना चाहिए। बाबा जी ने कहा कि पुरूषार्थ, सेवा व दान से जो आत्मिक शांति मिलती है उसे शब्दों में नहीं कहा जा सकता बस इतना समझ लेना चाहिए कि पुरूषार्थ, सेवा व दान करने के बाद ही सुख के सत्य का एहसास होता है। इस मौके बाबा जी ने संगतों को हर धर्म, ग्रंथ तथा जाति-वर्ग का एक बराबर सत्कार करने का संदेश भी दिया। इससे पहले संगतों ने बाबा प्यारा सिंह जी के द्वारा बनवाए गए श्री दुर्गा मंदिर सहित श्री शेषनाग मंदिर, सिद्ध बाबा बालक नाथ मंदिर, श्री शनिदेव मंदिर, श्री वरूण देव मंदिर, बाबा मस्त जी मंदिर, श्री विष्णू मंदिर, श्री सूर्य देव मंदिर, भक्त कबीर मंदिर, चंद्रबीर हड़ंबा मंदिर, धरती माता मंदिर में जहां माथा टेका वहीं संगत ने इतिहासगढ़ साहिब जाकर गत 19 वर्षों से प्रज्वलित अखंड जोत के दर्शन भी किए।

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