ध्यान करने से प्राप्त होती है आंतरिक ज्ञान की प्राप्ति
आर्य समाज मंदिर में आयोजित धार्मिक कार्यक्रम भक्तिमय वातावरण में संपन्न हो गया।
जागरण संवाददाता, नंगल: आर्य समाज मंदिर में आयोजित धार्मिक कार्यक्रम भक्तिमय वातावरण में संपन्न हो गया। मंदिर प्रबंध कमेटी के प्रधान सतीश अरोड़ा की अध्यक्षता में आयोजित कार्यक्रम में विशेष रूप से उपस्थित हुए आर्य जगत के इंटरनेशनल सोसायटी फार ट्रूथ कांशीअसनेस संस्थान के संस्थापक स्वामी ओंकारानंद सरस्वती ने कहा कि अध्यात्मिक यज्ञ का मतलब चितन मनन और ध्यान की प्रक्रिया से गुजरना है। इसके द्वारा ही आंतरिक प्रज्ञा का जागरण होता है। जब तक हमारी आंतरिक प्रज्ञा नहीं जागेगी, तब तक सत्य और मिथ्या का भेद हम समझ नहीं पाएंगे। परमात्मा शुद्ध हृदय वाले को ही ज्ञान प्रदान करता है। इसलिए आंतरिक ज्ञान हमारे अंदर प्रकाशित हो इसके लिए हृदय को पवित्र होना अति आवश्यक है और शुद्ध हृदय के लिए ध्यान का दैनिक अभ्यास जरूरी है। परमपिता परमेश्वर को जानने के लिए वेदों का पठन पाठन अति आवश्यक है। विश्व को आर्यव्रत बनाने के लिए कार्य करने पर बल देते हुए कहा कि सभी को प्रतिदिन हवन अवश्य करना चाहिए। इस अवसर पर नरेश सहगल व हनी सेठ ने अपने संगीतमय भजनों से सभी को मंत्रमुग्ध किए रखा। पुरोहित कृष्ण कांत शास्त्री की ओर से किए मंत्रोच्चारण के बीच सभी ने हवन में आहुतियां डाल कर विश्व कल्याण की कामना की। कार्यक्रम में आर्य समाज मंदिर के संरक्षक आस्करन दास सरदाना, मंत्री प्रेम सागर, उपाध्यक्ष राजीव खन्ना, कोषाध्यक्ष सतपाल जौली के अलावा अशोक भाटिया, सकता सिंह, डा. ईश्वर चंद्र सरदाना, शाम सुंदर चक्रवर्ती, दीपक शर्मा, आशा अरोड़ा, आंचल शर्मा, मानव खन्ना ने स्वामी स्वामी ओंकारानंद सरस्वती व स्वामी विवेकानंद सरस्वती को सम्मानित करके समाज के उत्थान के लिए कार्य करते रहने का संकल्प दोहराया।