श्री गुरु नानक देव जी के प्रकाश पर्व को समर्पित नगर कीर्तन सजाया
प्रथम पातशाही साहिब गुरु नानक देव जी के 551 वें प्रकाश पर्व को समर्पित विशाल नगर कीर्तन शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने क्षेत्र की समस्त संगत के सहयोग से गुरुद्वारा चरण कमल साहिब से सजाया।
संवाद सूत्र, कीरतपुर साहिब: प्रथम पातशाही साहिब गुरु नानक देव जी के 551 वें प्रकाश पर्व को समर्पित विशाल नगर कीर्तन शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने क्षेत्र की समस्त संगत के सहयोग से गुरुद्वारा चरण कमल साहिब से सजाया। नगर कीर्तन की प्रारंभता की अरदास तख्त श्री केसगढ़ साहिब जी के हेड ग्रंथी ज्ञानी फूला सिंह ने की। इस दौरान विशेष तौर पर पहुंचे तख्त श्री केसगढ़ साहिब जी के जत्थेदार सिंह साहिब ज्ञानी रघुवीर सिंह जी ने कहा कि गुरु नानक देव जी पूरी मानवता के गुरु हैं। उन्होंने कहा कि मनुष्य को श्री गुरु नानक देव जी के दर्शाए हुए किरत करो,नाम जपो एंव बंड छको के मार्ग पर चलकर अपना जीवन यापन करना चाहिए। इससे पहले नगर कीर्तन श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी की उपस्थिति में पांच प्यारों एवं पांच निशांनची सिंहों के नेतृत्व में गुरुद्वारा चरण कमल साहिब से आरंभ होकर श्री राम मंदिर चौक किरतपुर साहिब,मेन बाजार अंब वाला चौक,डेरा बाबा श्री चंद जी,बिलासपुर रोड गुरुद्वारा पातालपुरी साहिब चोंक एवं पुराना बस स्टैंड से होते हुए वापस गुरुद्वारा चरण कमल साहिब में समाप्त हुआ। नगर कीर्तन के आगे एसजीएस खालसा स्कूल के बच्चों की बैंड पार्टी ने प्रदर्शन किया। रास्ते में अलग-अलग पड़ाव पर स्थानीय दुकानदारों ने नगर कीर्तन का स्वागत कर पकवानों का प्रसाद बांटा। इस मौके तख्त श्री केसगढ़ साहिब के जत्थेदार ज्ञानी रघुवीर सिंह, हेड ग्रंथी ज्ञानी फूला सिंह, शिरोमणि कमेटी सदस्य अमरजीत सिंह चावला, तख्त श्री केसगढ़ साहिब के मैनेजर गुरदीप सिंह कंग, एडवोकेट हरदेव सिंह एडिशनल मैनेजर तख्त श्री केशगढ़ साहिब, हरप्रीत सिंह मैनेजर गुरुद्वारा पातालपुरी साहिब, स्वरूप सिंह इंचार्ज गुरुद्वारा बाबा गुरदित्ता जी, भाई जरनैल सिंह हेड ग्रंथी गुरुद्वारा शीशमहल साहिब, अजायब सिंह, भूपिदर सिंह, नंबरदार तेजवीर सिंह जागीरदार, परमजीत कौर नरुला, भजन सिंह, सुरिदर सिंह भिदर, तेजिदर सिंह पप्पू, विजय बजाज,धनवंत सिंह, मोहिदर सिंह वालिया, मनिदर सिंह साहिब, ज्योति प्रसाद, दविदर सिंह नरुला, ताज मोहम्मद पठान, इंद्रपाल नरुला एवं मनजीत सिंह दोला सहित बड़ी संख्या में संगत मौजूद थी।