न कोई बड़ा सरकारी अस्पताल और न ही बना बस स्टैंड
सिख इतिहास में अपनी अलग पहचान रखने वाली ऐतिहासिक नगरी कीरतपुर साहिब समय- समय की सरकारों की अनदेखी के कारण अभी भी कई बुनियादी सुविधाओं से वंचित है।
संवाद सूत्र, कीरतपुर साहिब: सिख इतिहास में अपनी अलग पहचान रखने वाली ऐतिहासिक नगरी कीरतपुर साहिब समय- समय की सरकारों की अनदेखी के कारण अभी भी कई बुनियादी सुविधाओं से वंचित है। कीरतपुर साहिब की पवित्र धरती को छह गुरु साहिबानों की चरणछोह प्राप्त है। आज तक इस धरती में 24 घंटे सेहत सुविधा प्रदान करने वाला कोई भी बड़ा सरकारी अस्पताल नहीं है। जो यहां प्राथमिक सेहत केंद्र है, उसमें भी सिर्फ कुछ डाक्टर होते हैं । रात के समय तो यहां कोई स्टाफ नर्स या मरहम पट्टी करने वाला भी नहीं होता। इसके अलावा कीरतपुर साहिब को कुछ समय पहले एक सुंदर बस स्टैंड तो मिला था, पर सड़कों को चौड़ा करने और नए ओवरब्रिज बनने के कारण बस स्टैंड को गिराना पड़ा। अब करीब एक दशक बीत जाने के बाद इस धरती को बस स्टैंड नसीब नहीं हुआ। वहीं गंदे पानी की निकासी के प्रबंध की बात करें, तो शहर का पानी जाकर सतलुज दरिया में गिरता है। यह पानी एतिहासिक अस्थिघाट से करीब आधा किलोमीटर पहले जाकर मिलता है, पर श्रद्धा सत्कार से सतलुज दरिया में स्नान करने वाले लोग इससे अनजान हैं। उनको यह नहीं पता कि जिस दरिया को पवित्र समझ कर वह स्नान कर रहे हैं, उस पानी में आकर शहर का गंदा पानी मिल रहा है। समय- समय की सरकारों ने पानी को ट्रीटमेंट प्लांट में साफ कर जमीन की सिचाई योग्य प्रयोग में लाने के वादे तो जरूर किए, पर वादे अभी तक भी पूरे नहीं हो सके। अब तक नहीं बिना कोई कम्युनिटी सेंटर
कीरतपुर साहिब की आबादी लगभग आठ से दस हजार के करीब है, पर यहां रहने वाले लोगों को शादियों के प्रोग्राम करने के लिए कम्युनिटी सेंटर अभी तक नहीं बनाया गया। पिछली सरकार ने छोटे- मोटे बरात घर बनाए थे, पर उनको भी गिराकर नए बनाए जाने वाले कम्युनिटी सेंटर का काम अभी भी आधे में ही लटका हुआ है। इन सभी मांगों को लेकर शहर के लोग पिछले लंबे समय से सियासी हाकिमों के पास अपनी आवाज उठा चुके हैं, पर सिवाय आश्वासनों के उन्हें कुछ नहीं मिला।