बॉलीवुड का आकर्षण रहीं नंगल की वादियां पर्यटन को तरसीं
नंगल विश्व विख्यात भाखड़ा बांध की गोबिंद सागर झील के अलावा नंगल डैम की रामसर साइट एवं राष्ट्रीय वेटलैंड की खूबसूरत वादियों के साथ ही भाखड़ा के निकट झील में एक टापू पर बना बाबा गरीब दास जी का मंदिर की मनोहारी वादियों को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की अपार संभावनाएं हैं।
सुभाष शर्मा, नंगल: विश्व विख्यात भाखड़ा बांध की गोबिंद सागर झील के अलावा नंगल डैम की रामसर साइट एवं राष्ट्रीय वेटलैंड की खूबसूरत वादियों के साथ ही भाखड़ा के निकट झील में एक टापू पर बना बाबा गरीब दास जी का मंदिर की मनोहारी वादियों को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की अपार संभावनाएं हैं। वादियों के इन मनोहारी स्थलों के कुदरती आकर्षण की वजह से ही 1970 दशक के दौरान नंगल की वादियां वालीवुड का मुख्य केंद्र रही हैं। करीब 20 सालों तक चली फिल्मों की शूटिंग के लिए वालीवुड के सुपर स्टार हीरो धर्मेद्र, राजेश खन्ना, विनोद खन्ना, मुमताज, रीना राय आदि बेशुमार सितारे शूटिंग के दौरान कई दिनों तक नंगल में रहा करते थे, लेकिन पंजाब में आतंकवाद शुरू होते ही यहां पूरा इलाका सुरक्षा के घेरे में आ गया। उसके बाद से यहां पर्यटन व फिल्मों की शूटिंगें ठप पड़ गई। भाखड़ा बांध देखने के लिए प्रतिवर्ष करीब साढ़े चार लाख पर्यटक आते हैं, लेकिन लंबे समय से असंख्य पर्यटक निराश लौट रहे हैं क्योंकि यहां पर्यटन की अपार संभावनाओं का उचित दोहन नहीं किया जा सका है। यदि पर्यटन कारोबार की तरफ सरकार ध्यान देती है तो यहां इलाके की आर्थिक स्थिति भी मजबूत हो सकती है। भाखड़ा बांध की सुरक्षा के मद्देनजर बेहद संवेदनशील माना जाता है। इसलिए यहां कड़े किए गए सुरक्षा प्रबंधों के चलते डैम देखने के लिए रैड परमिट मिलना तो एक तरफ, बल्कि डैम के ऊपर तक जाने की भी किसी को अनुमति नहीं है। इस वर्ष तो कोरोना की वैश्रि्वक महामारी ने तो इन वादियों को एकांत व शांत स्थल में बदल डाला है। ऐसे में पिछले छह माह से यहां पर्यटक नहीं आ सके हैं।
भाखड़ा बांध देखने के लिए वाइट परमिट जारी किए जाते हैं जबकि एक वर्ष के दौरान विशेष रूप से भाखड़ा देखने के लिए जारी किए जाने वाले करीब दो हजार रेड परमिट नंगल की बजाए बीबीएमबी मुख्यालय चंडीगढ़ से जारी होते हैं , जो पर्यटकों की परेशानी का एक बड़ा कारण है। अब तो रेड परमिट भी करीब ढाई साल से बंद पड़े हैं। राष्ट्रीय वेटलेंड तथा वाईल्ड लाइफ सेंक्चुरी के बाद रामसर साइट का सम्मान प्राप्त कर चुकी नंगल डैम झील में पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं। पर्यटकों की सुविधा की बात करें तो यहां पर्यटकों के ठहरने के लिए एक भी सरकारी होटल नहीं है तथा पंजाब सरकार का एकमात्र कदंबा टूरिस्ट कंप्लेक्स भी पिछले 16 वर्षो से बंद पड़ा होने के कारण खंडहर में बदल चुका है। भाखड़ा बांध देखने के लिए रेड परमिट भी आम आदमी व पर्यटक को नसीब नहीं होता। सुरक्षा प्रबंधों के चलते शहर का विशेष आकर्षण माने जाते नंगल डैम पुल पर भी किसी को खड़े होने की अनुमति नहीं है व पुल के साथ झील को निहारने के लिए रमणीक स्थलों को लोहे की ग्रिलें लगाकर बंद कर दिया गया है। इन हालातों के चलते यहां आने वाले टूरिस्ट निराशा लेकर ही लौट रहे हैं।
बर्बाद होने वाले हजारों लीटर पानी से बन सकता है वाटर फॉल---
फोटो 26 एनजीएल 11 में है। रोटरी इंटरनेशनल के पूर्व सहायक गवर्नर एवं अरब व यूरोपियन देशों में हर साल बड़ी संख्या में युवाओं को मैन पावर के रूप में भेजने वाले सफल कारोबारी प्रदीप सोनी का कहना है कि नंगल से सटे गांव निक्कू नंगल, दोबेटा आदि सहित करीब पांच गांवों से प्रतिदिन हजारों लीटर गंदा पानी नालों में बहाया जाता है। इस पानी को यदि ट्रीट करके सतलुज पार्क के पास लाकर वाटर फॉल के रूप में प्रयोग किया जाए तो यहां बड़े स्तर का पर्यटन स्थल पूरे विश्व में धूम मचा सकता है । रोज निकलने वाले इस पानी को कहीं भी रास्ते में रोक कर ट्रीट करने के बाद चेकडैम के तौर पर प्रयोग किया जा सकता है। चेकडैम का पानी वोटिंग, एंग्लिंग हंट यानि मछली पकड़ने के शोकीनों का आकर्षण बन सकता है। ये पानी शहर में सिंचाई तथा रेल गाड़ियों व वाहनों के सर्विस स्टेशनों पर भी प्रयोग करके ड्रिंकिंग वाटर के हो रहे दुरुपयोग को रोक सकता है। नगर कौंसिल इसमें भागीदार बनकर आमदन का एक नया साधन तैयार कर सकती है।
इसलिए मनाया जाता है विश्व पर्यटन दिवस विश्व पर्यटन दिवस के लिए 27 सितंबर का दिन चुना गया है। वर्ष 1970 में विश्व पर्यटन संगठन का संविधान स्वीकार किया गया था। दिवस का मुख्य उद्देश्य पर्यटन को बढ़ावा देना और पर्यटन के द्वारा अपने देश की आय को बढ़ाना है। कई देशों में पर्यटन को बढ़ावा देने वाले कार्यक्त्रम आयोजित किए जाते हैं, जिनमें सामाजिक, राजनीतिक, सास्कृतिक और आर्थिक कार्यक्रम शामिल हैं। भारत में केवल गोवा, केरल, राजस्थान, उड़ीसा और मध्यप्रदेश में ही पर्यटन के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति नहीं हुई है, बल्कि उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, झारखंड, आध्र प्रदेश और छत्तीसगढ़ के पर्यटन को भी अच्छा लाभ पहुंचा है। एक सर्वेक्षण के अनुसार हिमाचल प्रदेश में पिछले वर्ष 6.5 मिलियन पर्यटक गए थे। यह आकड़ा राज्य की कुल आबादी के लगभग बराबर बैठता है।