पराली को खेतों में मिलाया, फसल का अच्छा झाड़ पाया

रूपनगर फसलों की कटाई के बाद खेतों में खड़ी रहने वाली पराली से निजात पाने का किसानों के पास सबसे आसान रास्ता पराली को आग लगाने का ही रहा है जोकि हमेशा से बढ़ते प्रदूषण का कारण साबित होता रहा है।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 25 Oct 2020 03:46 PM (IST) Updated:Sun, 25 Oct 2020 10:43 PM (IST)
पराली को खेतों में मिलाया, फसल का अच्छा झाड़ पाया
पराली को खेतों में मिलाया, फसल का अच्छा झाड़ पाया

अरुण कुमार पुरी, रूपनगर: फसलों की कटाई के बाद खेतों में खड़ी रहने वाली पराली से निजात पाने का किसानों के पास सबसे आसान रास्ता पराली को आग लगाने का ही रहा है, जोकि हमेशा से बढ़ते प्रदूषण का कारण साबित होता रहा है। बढ़ते प्रदूषण ने समय- समय की सरकारों से लेकर न्यायपालिका तक को यह सोचने के लिए मजबूर कर दिया कि इसे रोका जाना जरूरी है। अब पिछले कुछ सालों से इस संबंधी किए जा रहे प्रयासों के चलते अब इसमें सुधार दिखने लगे हैं। किसानों ने यह साबित कर दिया है कि पराली को जलाने के बजाय उसे खेत की मिट्टी में मिलाते हुए भी जहां अगली फसल लगाई जा सकती है, वहीं बेहतर झाड़ भी पाया जा सकता है। जिले के गांव चक्कलां के किसान परमिदरजीत सिंह ने बताया कि कृषि विभाग पराली को न जलाने के लिए लोगों को जागरूक कर रहा है। उन्होंने बताया कि वह पिछले कई वर्षों से पराली को आग लगाए बिना अगली फसल की बिजाई कर रहे हैं। उनके पास 15 एकड़ जमीन है, जिस पर वह धान व गेहूं की खेती करते हैं । हर फसल को कंबाइन के साथ काटने के बाद पराली को खेतों में मिलाकर उसे खाद के तौर पा इस्तेमाल कर रहे हैं। गांव दातारपुर के किसान हरजीत सिंह ने बताया कि उसने पराली को खेत में मिलाने वाली विधि को अपनाते हुए हर फसल से काफी लाभ कमाया है। उसके पास आठ एकड़ जमीन है। पराली को आग लगाना छोड़ उसे खेत में मिला खाद के रूप में लाभ उठाने का तरीका अपनाया है। दो साल हैपीसीडर से गेहूं की बिजाई करते हुए अच्छा झाड़ हासिल किया। इसके बाद उसने ठेके पर 30 एकड़ जमीन लेते हुए इसी विधि को अपनाया हुआ है। रूपनगर के गांव माहलां के किसान सुखजिदर सिंह ने कहा कि पराली को आग लगाना बंद कर उसे खाद की तरह प्रयोग करना शुरू किया है। 25 एकड़ जमीन में बिना पराली को आग लगाए वह गेहूं व धान की अच्छी फसल ले रहा है। गांव दातारपुर मोरिडा के किसान जसपाल सिंह ने बताया कि उसने भी केवीके द्वारा मिले मार्गदर्शन के बाद अपनी 20 एकड़ जमीन पर पराली को आग लगाने वाली सोच को बदलने के बाद आधुनिक तकनीक का लाभ उठाते हुए फसलों की पराली को खेत की मिट्टी में ही मिलाना शुरू कर दिया है। उसके पास जो 20 एकड़ जमीन है, उसमें वह धान व गेहूं की फसल आधुनिक विधि से लगाता है। जमीन की उपजाऊ क्षमता बढ़ी है और फसलों का झाड़ पहले से अधिक बढ़ा है।

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