राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के चेयरमैन का किसानों ने किया घेराव
राष्ट्रीय अल्पसंख्यक कमीशन (एनएमसी) के चेयरमैन और भाजपा नेता इकबाल सिंह लालपुरा का नूरपुरबेदी क्षेत्र के एक गांव में किसी परिवार के साथ निजी मुलाकात करने के लिए पहुंचने पर संयुक्त किसान मोर्चा के झंडे नीचे विभिन्न किसान जत्थेबंदियों ने उनका घेराव किया।
संवाद सहयोगी, नूरपुरबेदी: राष्ट्रीय अल्पसंख्यक कमीशन (एनएमसी) के चेयरमैन और भाजपा नेता इकबाल सिंह लालपुरा का नूरपुरबेदी क्षेत्र के एक गांव में किसी परिवार के साथ निजी मुलाकात करने के लिए पहुंचने पर संयुक्त किसान मोर्चा के झंडे नीचे विभिन्न किसान जत्थेबंदियों ने उनका घेराव किया। जब उनके गांव रोड़ूआना में एक भाजपा समर्थक परिवार के सदस्यों के साथ मुलाकात करने के बारे में किसान संगठनों को भनक लगी, तो मजदूर किसान मोर्चा और भारतीय किसान यूनियन दोआबा ने घेराव शुरू कर दिया। इस दौरान बड़ी संख्या में किसानों ने केंद्र सरकार के विरोध में नारे भी लगाए। इस मौके पर किसानों और उक्त परिवार के सदस्यों के बीच बहसबाजी भी हुई। सूचना मिलते ही मौके पर डीएसपी आनंदपुर साहिब रमिदर सिंह काहलों समेत आसपास की चौकियों और थाने से बड़ी संख्या में पुलिस जवान भी पहुंच गए। मजदूर किसान मोर्चा के प्रधान वीर सिंह बड़वा और भारतीय किसान यूनियन दोआबा के जिला प्रधान रुपिदर सिंह संदोआ ने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा ने देशभर में भाजपा नेताओं के घेराव का प्रोग्राम बनाया है, जिसके अंतर्गत लालपुरा का विरोध किया गया। उन्होंने कहा कि जब तक कृषि कानूनों को रद नहीं किया जाता, तब तक हर भाजपा नेता का विरोध किया जाएगा। वहीं मौके पर किसानों ने कहा कि जिस घर में लालपुरा पहुंचे हैं, उनके पारिवारिक सदस्यों ने किसानों के साथ बदतमीजी की गई। जब तक वह माफी नहीं मांगते, तब तक उनका धरना जारी रहेगा। उधर खबर लिखे जाने तक किसानों का धरना जारी था। धरने दौरान वीर सिंह बड़वा, रुपिदर सिंह संदोआ, परमजीत सिंह, दविदर सरथली, रविदर पप्पी, नसीब कौर, रिकू मान, तरलोचन सिंह चट्ठा, बाबा सुच्चा सिंह, ध्यान सिंह, सुरजीत संदोआ, सुखप्रीत सिंह, रजिदर बड़वा, बलवीर कौर, जरनैल कौर, परमजीत संदोआ, दीपू संदोआ, बलवीर भीरी सहित भारी संख्या संख्या किसान और अन्य भी शामिल थे। लालपुरा केवल चाय पीने आए थे, पार्टी का कोई प्रोग्राम नहीं था उधर जिस घर में लालपुरा आए थे, उनके सदस्यों ने कहा कि लालपुरा से उनके पुराने पारिवारिक संबंध हैं। इसके चलते वह केवल उनसे मुलाकात करने पर घर चाय पीने आए थे। यहां पर भाजपा का कोई प्रोग्राम नहीं था। किसानों के साथ कोई बदसलूकी नहीं की। इसी बीच किसानों ने उनकी एक भी नहीं सुनी और लालपुरा के विरोध में नारेबाजी शुरू कर दी।