खेती सुधार कानूनों के विरोध में किसानों ने पूर्व कैबिनेट मंत्री मित्तल का किया घेराव

गांव बीकापुर में पूर्व कैबिनेट मंत्री मदन मोहन मित्तल का शनिवार को घेराव करने के बाद किसानों ने रविवार को भी गांव रामपुर जज्जर में खेती सुधार कानूनों के विरोध में उनका फिर से घेराव किया।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 01 Aug 2021 08:10 PM (IST) Updated:Sun, 01 Aug 2021 08:11 PM (IST)
खेती सुधार कानूनों के विरोध में किसानों ने पूर्व कैबिनेट मंत्री मित्तल का किया घेराव
खेती सुधार कानूनों के विरोध में किसानों ने पूर्व कैबिनेट मंत्री मित्तल का किया घेराव

संवाद सहयोगी, आनंदपुर साहिब: गांव बीकापुर में पूर्व कैबिनेट मंत्री मदन मोहन मित्तल का शनिवार को घेराव करने के बाद किसानों ने रविवार को भी गांव रामपुर जज्जर में खेती सुधार कानूनों के विरोध में उनका फिर से घेराव किया। मित्तल अपने बेटे एडवोकेट अरविद मित्तल के साथ रामपुर जज्जर के पूर्व सरपंच ज्ञान चंद के घर में अपनी पार्टी के प्रचार प्रसार करने के लिए गए हुए थे। जब इस बारे इलाके के किसानों को पता लगा, तो वह गांव जज्जर में पहुंचने शुरू हो गए। देखते ही देखते बड़ी संख्या में पहुंचे किसानों ने पूर्व सरपंच के घर का घेराव कर मदन मोहन मित्तल के विरोध में नारे लगाने शुरू कर दिए। इस संबंधी जब स्थानीय पुलिस प्रशासन को पता लगा, तो पुलिस अधिकारियों ने मौके पर बड़ी संख्या में फोर्स मंगवा ली। पुलिस द्वारा मित्तल को सुरक्षित बाहर निकालने की कवायद को देखते हुए किसानों का रोष और बढ़ गया और वह मित्तल की गाड़ी को रोकने के लिए गाड़ी के आगे लेट गए। इस दौरान किसानों की अगुआई कर रहे कुल हिद किसान यूनियन के जिला प्रधान सुरजीत सिंह ढेर के पैर में चोट भी लग गई। इसी बीच पुलिस ने मित्तल को वहां से सुरक्षित निकाल लिया। इस मौके पर किसान नेताओं में सुरजीत सिंह ढेर, तरलोचन सिंह चट्ठा, बरजिदर सिंह डोड, सेठी शर्मा, इंद्रजीत सिंह फौजी, अमरीक सिंह काकु, शमशेर सिंह सेरा, जयमल सिंह भड़ी, निर्मल सिंह सूरेवाल, स्वर्ण सिंह, तरलोचन सिंह सूरेवाल, तजिदर सिंह प्रिस, करनप्रीत सिंह सूरज, प्रभजोत सिंह बेदी व लक्की ढेर भी उपस्थित थे। हमला करने वाले किसान नहीं उधर पूर्व मदन मोहन मित्तल ने कहा कि उनकी व उनके वर्करों की जिन गाड़ियों पर हमला किया गया है, वह किसानों ने नहीं , आप, कांग्रेस व कामरेड नेताओं ने किया है। वह किसानों के हितैषी हैं तथा हमेशा उनके साथ खड़े रहेंगे। कुछ पार्टियों के नेता ऐसी हरकतें कर किसानी संघर्ष की आड़ में अपना राजनीतिक मकसद पूरा करने की फिराक में हैं।

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