कर्मचारियों की कमी के बावजूद लक्ष्यों की पूर्ती में जुटी है भाखड़ा बाध परियोजना

आधुनिक भारत के मंदिर के नाम से जाने जाते भाखड़ा बाध की राष्ट्रहित में सराहनीय सेवाओं को बरकरार रखते हुए कर्मचारियों की बड़ी कमी के बावजूद लक्ष्यों की पूर्ति के लिए सफल प्रयास जारी हैं।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 22 Apr 2021 05:12 AM (IST) Updated:Thu, 22 Apr 2021 05:12 AM (IST)
कर्मचारियों की कमी के बावजूद लक्ष्यों की पूर्ती में जुटी है भाखड़ा बाध परियोजना
कर्मचारियों की कमी के बावजूद लक्ष्यों की पूर्ती में जुटी है भाखड़ा बाध परियोजना

सुभाष शर्मा, नंगल: आधुनिक भारत के मंदिर के नाम से जाने जाते भाखड़ा बाध की राष्ट्रहित में सराहनीय सेवाओं को बरकरार रखते हुए कर्मचारियों की बड़ी कमी के बावजूद लक्ष्यों की पूर्ति के लिए सफल प्रयास जारी हैं। बाध परियोजना जहा करीब 35 पैसे प्रति यूनिट लागत की सस्ती बिजली पैदा कर पंजाब, हरियाणा, राजस्थान प्रातों को दे रही है, वहीं पेयजल तथा सिंचाई योग्य जल उपलब्ध करवाने में भी सराहनीय योगदान बरकरार है। बरसात के दिनों में हिमाचल से आने वाले लाखों क्यूसिक बाढ़ के पानी के खतरे से पंजाब जैसे प्रात को बचाने के लिए अहम योगदान अलग से है। भाखड़ा बाध के चीफ इंजीनियर कमलजीत सिंह ने दैनिक जागरण से साक्षात्कार में बताया कि भाखड़ा ब्यास प्रबंध बोर्ड के लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए निष्ठा पूर्वक प्रदान की जा रही सेवाओं के चलते दशकों बाद पहली बार बाध की गोबिंद सागर झील में सर्वेक्षण के लिए हाई स्पीड जेट बोट का इंतजाम किया जा रहा है। झील में कम गहरे पानी के ऊपर भी यह जेट बोट तीन माह में होने वाले सर्वेक्षण को कुछ ही दिनों में पूरा कर सकेगी। झील में किसी भी जगह चेकिंग के लिए जेट वोट से जल्द पहुंचेगी। पूरे विश्व में फ्री यात्रा करवाने के कारण अलग पहचान रखने वाली भाखड़ा ट्रेन के लिए भी एक नया इंजन लाया जा रहा है। उनका कहना है कि इस समय बाध परियोजना का संचालन अधिकारियों व कर्मचारियों की कम संख्या के कारण चुनौती भरा बना हुआ है, ऐसे में अवकाश के दिनों में भी सेवाएं प्रदान की जा रही हैं।भाखड़ा बाध से निकलने वाली नंगल हाइडल चैनल (नहर) को बने लगभग 65 साल हो चुके हैं। इतने लंबे अंतराल में पहली बार रोपड़ तक 2.15 लाख आरडी तक नहर के पानी को न्यूनतम स्तर पर ले जाकर मजबूती जाचने का साहस भरा सर्वेक्षण सफल रूप से पूरा किया गया है। इसके अलावा जल प्रदूषण को रोकने के लिए नंगल डैम से लेकर आगे तक करीब 600 मीटर दायरे तक दोनों तरफ लोहे की जालिया लगाई जा चुकी हैं। भागीदार प्रात पूरी करें अपने कर्मचारियों की संख्या चीफ इंजीनियर कमलजीत ने काि कि बाध निर्माण के समय 40,000 कामगार काम करते थे। वर्ष 2018 की पालिसी के अनुसार इस समय बाध परियोजना में कर्मचारियों की संख्या करीब 60 प्रतिशत तक है। कर्मियों की कम संख्या के बावजूद संवेदनशील बाध परियोजना का संचालन सभी के सहयोग व कड़ी मेहनत से सफल रुप से किया जा रहा है। बीबीएमबी के भागीदार प्रातों को चाहिए कि परियोजना की उपलब्धियों व अहम महत्व के मद्देनजर जल्द अपने कोटे के कर्मचारियों की संख्या पूरी करे। इस बार लगाए जाएंगे 7500 पौधे पर्यावरणीय लक्ष्यों की लगातार प्राप्ति के दृष्टिगत इस बार भी पर्यावरण संरक्षण के लिए बाध परियोजना के क्षेत्र में 7500 पौधे रोपित किए जाएंगे। मुख्य अभियंता ने कहा कि बेशक बीबीएमबी में कर्मचारियों की संख्या कम है, फिर भी यहा कामगारों के लिए अन्य प्रातों की तुलना में वातावरण काफी सुविधाजनक है। अच्छे वेतन के साथ इंसेंटिव देकर कर्मचारियों को प्रोत्साहित किया जा रहा है।

बीबीएमबी अस्पताल दे रहा है डायलसिस सेवा बीबीएमबी के नंगल अस्पताल में उपचार सेवाओं के अलावा कोरोना संक्रमण रोकथाम तथा डायलिसिस सुविधा के लिए संतोषजनक कार्य जारी है। कमलजीत सिंह ने कहा कि अब तक अस्पताल के डायलसिस केंद्र में बीबीएमबी रेडक्रास व एनजीओ के सहयोग से 3866 रोगी डायलसिस करवा चुके हैं। पहले इस उपचार के लिए रोगी दूर चंडीगढ़, लुधियाना, जालंधर जैसे महानगरों के चिकित्सा संस्थानों पर निर्भर थे।

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