पर्यटकों से होगी गुलजार होगी गोबिंद सागर झील जल्द, जल क्रीड़ाओं के लिए अनुमति

भाखड़ा बाध से सटे हिमाचल के कुटलैहड़ विधानसभा क्षेत्र में गोबिंद सागर झील की वादियों में आने वाले देश विदेश के पर्यटक अब जल क्रीड़ाओं बोटिंग व अन्य साहसिक खेलों जैसी गतिविधियों का आनंद उठा सकेंगे।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 10 May 2021 04:01 PM (IST) Updated:Mon, 10 May 2021 04:01 PM (IST)
पर्यटकों से होगी गुलजार होगी गोबिंद सागर झील जल्द, जल क्रीड़ाओं के लिए अनुमति
पर्यटकों से होगी गुलजार होगी गोबिंद सागर झील जल्द, जल क्रीड़ाओं के लिए अनुमति

सुभाष शर्मा, भाखड़ा बाध (नंगल): भाखड़ा बाध से सटे हिमाचल के कुटलैहड़ विधानसभा क्षेत्र में गोबिंद सागर झील की वादियों में आने वाले देश विदेश के पर्यटक अब जल क्रीड़ाओं, बोटिंग व अन्य साहसिक खेलों जैसी गतिविधियों का आनंद उठा सकेंगे। भाखड़ा ब्यास प्रबंध बोर्ड ने ऐसी गतिविधियों के लिए अनुमति प्रदान कर दी है। अंदरौली में गोबिंद सागर झील में जल क्रीड़ाओं के आयोजन के लिए वाटर स्पो‌र्ट्स काप्लेक्स बनाया जाएगा तथा यहा आने वाले पर्यटकों के लिए मूलभूत सुविधाएं जुटाई जाएंगी, जिस पर कार्य शुरू हो चुका है। जल्द ही गोबिंद सागर झील की लहरों पर रोमाच का खेल शुरू होगा, जिससे युवाओं को रोजगार के अवसर मिलने सहित कुटलैहड़ में आर्थिक समृद्धि का द्वार खुलेगा। यहां पर पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए कृटलैहड़ टूरिज्म डवलपमेंट सोसायटी (केटीडीएस) का गठन किया गया है, जिसके अध्यक्ष उपायुक्त ऊना हैं।

कुटलैहड़ से विधायक एवं हिमाचल के ग्रामीण विकास व पंचायती राज मंत्री वीरेंद्र कंवर ने कहा कि यहां साहसिक पर्यटन के साथ-साथ धार्मिक पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं। चंडीगढ़ व पंजाब के साथ सटा होने के चलते ऊना जिला का कुटलैहड़ विस क्षेत्र वीकेंड पर्यटन गतिविधियों का केंद्र बनकर उभर रहा है। धार्मिक स्थल भी बनेंगे आकर्षण का केंद्र कुटलैहड़ क्षेत्र में ही आसरी गुफा, ब्रह्माहु़ती मंदिर, जमासणी माता मंदिर, सदाशिव मंदिर, चामुखा मंदिर, पीर गौंस पाक तथा पिपलू में भगवान नरसिंह का प्राचीन मंदिर है। कुटलैहड़ को धार्मिक पर्यटन के लिहाज से विकसित करने की योजनाएं अंतिम चरण में हैं, जिससे यहा के धार्मिक महत्व वाले स्थानों को विकसित किया जाएगा। इसके अलावा यहा पर सोलहसिंगी धार के प्रसिद्ध किले भी हैं, जो पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र रहे हैं। हिमाचल सरकार इन्हीं स्थानों को सुविधा संपन्न बनाकर पर्यटन को बढ़ावा देने का प्रयास कर रही है। वहीं गरीब दास मंदिर में तो साल में हर दिन पर्यटकों का आना- लाना लगा रहता है। कुटलैहड़ के जाने-माने तीर्थ स्थल ब्रह्माहुती के लिए सड़क,स्नानघाट व शौचालय जैसी मूलभूत सुविधाओं का निर्माण किया गया। उसी को आगे बढ़ाते हुए अब इस स्थान के सुंदरीकरण का कार्य भी किया जाना प्रस्तावित है, जिससे कुटलैहड़ में धार्मिक पर्यटन की संभावनाओं को बल मिल सके। करोड़ों की लागत से चल रहे हैं काम भाखड़ा बाध के कुटलैहड़ क्षेत्र में सोलहसिंगी धार के पुराने किले हैं । पर्यटक यहा तक सुगमता व आनंद से पहुंच सकें, इसके लिए डोहगी से किले तक ट्रैकिंग रूट यानि पर्यटन मार्ग का निर्माण किया जाना है। पर्यटकों को प्रकृति का समीप से अनुभव मिल सके, इसके लिए 70 लाख रुपये की लागत से सोलहसिंगी धार के कोट में व 70 लाख रुपए की लागत से ही घरवासड़ा में विश्राम गृह का निर्माण किया गया है । इसके अलावा घरवासड़ा-चोगाठ में तालाब निर्मित कर उस क्षेत्र का संदरीकरण कर परोइया कला-घरवासड़ा के लिए ट्रैकिंग रूट भी तैयार किया जा रहा है। कुटलैहड़ के टीहरा में हैलीपैड के निर्माण के लिए भी 50 लाख रुपये की पहली किस्त मिल चुकी है। इसके साथ ही बंगाणा में 80 लाख की लागत से ईको पार्क भी लगभग बनकर तैयार हो चुका है। वहीं 12 करोड़ रुपये की लागत से समूर में भाषा व संस्कृति केंद्र भी स्थापित किया गया है।

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